नीतीश कुमार ने बनाया इतिहास, 10वीं बार CM बनने पर वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ बिहार के राजनीतिक चाणक्य का नाम
Nitish Kumar: बिहार की सियासत में एक बार फिर इतिहास लिखा गया है। दसवीं बार सीएम बनने पर लंदन स्थित वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक पत्र भेजकर नीतीश कुमार को बधाई दी है और उनकी इस असाधारण उपलब्धि को अपने प्रतिष्ठित रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया है।
Nitish Kumar: बिहार की सियासत में एक बार फिर इतिहास लिखा गया है। हालिया विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर ऐसा राजनीतिक कीर्तिमान स्थापित किया है, जिसकी मिसाल स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहले कभी नहीं देखी गई। अब इस उपलब्धि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिल गई है,लंदन स्थित वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक पत्र भेजकर नीतीश कुमार को बधाई दी है और उनकी इस असाधारण उपलब्धि को अपने प्रतिष्ठित रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया है।
पत्र में संस्था ने साफ लिखा कि 1947 से 2025 के बीच भारत में किसी भी व्यक्ति ने दस बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का गौरव प्राप्त नहीं किया। यह उपलब्धि न सिर्फ एक व्यक्ति के राजनीतिक धैर्य, संयम और सियासी सूझ-बूझ का प्रमाण है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि बिहार की जनता ने लंबे समय तक उन पर अपना भरोसा कायम रखा है।
वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स ने इसे भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में अद्वितीय उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह उन विरले अवसरों में से है जब किसी नेता ने इतने लंबे समय तक राज्य की बागडोर संभाली हो। संस्था ने उल्लेख किया कि शासन, विकास, सामाजिक कल्याण और प्रशासनिक स्थिरता की दिशा में नीतीश कुमार का निरंतर प्रयास लाखों लोगों को प्रेरित करता रहा है और आगे भी करता रहेगा।
संस्था ने आगे कहा कि लगातार दस बार किसी राज्य का नेतृत्व करना केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए गौरव का विषय है। इस उपलब्धि के सम्मान में वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, लंदन नीतीश कुमार का नाम अपनी वैश्विक सूची में शामिल कर उन्हें आधिकारिक प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए स्वयं को सम्मानित महसूस करेगा।
बता दें दुनिया भर में उल्लेखनीय उपलब्धियों, सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक योगदानों को मान्यता देने वाली वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स इस बात पर भी जोर देती है कि ऐसे रिकॉर्ड उन व्यक्तियों की प्रतिबद्धता का प्रतीक होते हैं, जो सार्वजनिक जीवन में निरंतरता, स्थिरता और दृष्टि के साथ कार्य करते हैं।
बहरहाल नीतीश ने फिर साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति में वे सिर्फ खिलाड़ी नहीं, एक संस्थान बन चुके हैं।