Patna Cyber Crime: पटना में साइबर अपराधियों का आतंक! डॉक्टर दंपत्ति को 12 दिनों तक रखा डिजिटल अरेस्ट, बैंक अकाउंट से उड़ा लिए 1.95 करोड़ रुपये

Patna Cyber Crime: पटना के डॉक्टर दंपती को साइबर अपराधियों ने 12 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर 1.95 करोड़ रुपये ठग लिए। जानिए कैसे रची गई साजिश और क्या हैं इससे बचने के उपाय।

Patna Cyber Crime:
बिहार में बुर्जुग दंपत्ति को हुआ करोड़ों का नुकसान- फोटो : social media

Patna Cyber Crime: पटना के हनुमान नगर में रहने वाले 79 वर्षीय डॉ. राधे मोहन प्रसाद और उनकी पत्नी डॉ. छवि प्रसाद के साथ जो हुआ, वह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि एक मानसिक त्रासदी थी। 12 दिनों तक उन्हें मानसिक रूप से बंधक बनाकर, वीडियो कॉल के जरिए धमकाकर, सीबीआई अधिकारी, वकील और जज बनकर साइबर ठगों ने 1.95 करोड़ रुपये की ठगी कर ली।

एक झूठे केस की झांकी

ठगों ने बताया कि मुंबई के कोलाबा थाने में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर दंपती के नाम पर सिम कार्ड से फर्जीवाड़ा किया गया है। उन्हें "मोस्ट वांटेड" बताया गया और मुंबई बुलाने की कोशिश की गई।

फिर आई वीडियो कॉल और थाने जैसा दृश्य

फोन कटते ही एक वीडियो कॉल आई। कॉल में एक व्यक्ति खाकी वर्दी में पुलिस की तरह बैठा था और पीछे थाने जैसा सेटअप दिख रहा था। दंपती को हर दिन 15-15 घंटे उस कॉल के सामने बैठना पड़ा। उन्हें डराया गया कि घर से निकलने पर पुलिस गिरफ्तार कर लेगी।

डिजिटल अरेस्ट: मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न का नया तरीका

ठगों ने दंपती को बताया कि उनके पीछे उनका आदमी है। अगर वे किसी को सूचना देंगे तो उन्हें शारीरिक नुकसान हो सकता है। इसी डर से दंपती ने बैंक जाकर 6 बार RTGS ट्रांसफर किए।

ऑनलाइन अदालत और जज का ड्रामा

एक अन्य वीडियो कॉल में वकील और जज की भूमिका में लोग दिखे। एक “ऑनलाइन सुनवाई” रची गई जिसमें दंपती को “बरी” कर दिया गया, जिससे उन्हें और विश्वास हो गया कि मामला असली है।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट एक नई साइबर अपराध तकनीक है जिसमें शिकार को यह विश्वास दिलाया जाता है कि वे कानून के घेरे में हैं। इसके लिए निम्न तरीके अपनाए जाते हैं। वीडियो कॉल के माध्यम से पुलिस/जज की वेशभूषा में अपराधी सामने आते हैं।सरकारी भाषा और कानूनी शब्दों का इस्तेमाल करके डर फैलाया जाता है।घर से बाहर न जाने, मोबाइल ऑन रखने और किसी को ना बताने की सख्त हिदायत दी जाती है।शिकार को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से पूरी तरह जकड़ लिया जाता है।

पीड़ितों की हालत: खाना भी समय से नहीं खा सके

डॉ. राधे मोहन और उनकी पत्नी ने बताया कि उन्होंने भूख और प्यास की भावना खो दी थी। वीडियो कॉल के दौरान ही पत्नी को खाना बनाने की अनुमति मिलती थी। उन्हें मोबाइल ऑन रखकर सोने को कहा जाता था ताकि किसी प्रकार की "गड़बड़ी" की निगरानी हो सके।

साइबर थाना में शिकायत, जांच शुरू

डॉक्टर दंपती ने 29 मई को साइबर थाना में शिकायत दी जिसके आधार पर 30 मई को एफआईआर दर्ज की गई। डीएसपी राघवेंद्र मणि त्रिपाठी के नेतृत्व में जांच शुरू हो चुकी है।

पारिवारिक स्थिति

डॉक्टर दंपती के दोनों बेटे बाहर रहते हैं — एक विदेश में और एक दिल्ली में। छोटे बेटे डॉ. सौरव ने कहा कि ठगों ने माता-पिता की पूरी जीवन भर की कमाई लूट ली है।