Bihar police - बिहार पुलिस फिर नाकाम साबित, हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा पा चुके पांच आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में हाईकोर्ट ने किया बरी

Bihar police - हत्या के एक मामले में पुलिस आरोपियों के खिलाफ मजबूत साक्ष्य पेशळळ नहीं कर पाई, जिसके कारण सभी आरोपियों को पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया।

Bihar police - बिहार पुलिस फिर नाकाम साबित, हत्या के आरोप मे
हत्या के आरोपी हुए बरी, पुलिस नहीं पेश कर पाई सबूत- फोटो : न्यूज4नेशन

Patna - पटना हाईकोर्ट ने रोहतास जिला के काराकाट थाना के बुढ़वल गांव के चर्चित हत्या कांड में आजीवन कारावास की सजा पाए पांच अभियुक्तों को हाई कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और जस्टिस सौरेन्द्र पाण्डेय की खंडपीठ ने आजीवन कारावास की सजा के विरुद्ध दायर अपील पर सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद आदेश दिया।

उम्रकैद  की सजा पाए अभियुक्त दामोदर सिंह के वरीय  अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा,  और  नागेंद्र दुबे, अजय सिंह  , मधुवन सिंह   और मुन्ना सिंह  के अधिवक्ता उमेश नारायण दुबे और रितेश सिंह के अधिवक्ता प्रतीक मिश्रा द्वारा किये गये बहस पर एक साथ सुनने के बाद यह आदेश दिया।

 ये   मामला  काराकाट थाना कांड संख्या - 94/2005 से जुड़ा हुआ है।इस मामले में मृतक बृज बिहारी सिंह के भतीजा रजनीश कुमार सिंह ने काराकाट थाना में दर्ज कराया था। उन्होंने अपने प्राथमिक में कहा है कि 31 अगस्त, 2005 को सभी  अभियुक्त मिलकर मेरे चाचा को शाम को उस वक्त लाठी डंडा और फरसा से मार कर हत्या कर दिए ,जब वह घर से  शौच करने गांव से बाहर जा रहे थे।

पुलिस ने अनुसंधान करने के बाद  कुल छह अभियुक्तों  के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू किया और इन्हें जेल भेज दिया । इस मामले का ट्रायल रोहतास के  सिविल कोर्ट में  चला, जहां से एक अभियुक्त  पप्पू सिंह को  निचली   अदालत ने साक्ष्य के आभाव  में भारी कर दिया। बाकी  बचे   पांच अभियुक्तों को निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।  निचली   अदालत से मिली आजीवन कारावास के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.  जिस पर कोर्ट में लंबी सुनवाई हुई।

अभियुक्तों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में सभी अभियुक्त निर्दोष हैं तथा इन्हें राजनीतिक  कारणों  एवं विद्वेष के कारण  इस मुकदमे में अभियुक्त बनाया गया है।कोर्ट को बताया गया है कि इस मामले में ट्रायल के दौरान   सूचक या अन्य  किसी भी साक्षियों के  द्वारा ना तो घटनास्थल का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।

न ही किस चीज से हत्या की गई, इसका ही स्पष्ट प्रमाण और  साक्ष्य ही कोर्ट को दिया गया है।कोर्ट में सभी पक्षों को सुनने के बाद आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे  पांचों   अभियुक्त को तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश  निचली अदालत को दिया।