शराबबंदी में जब्त गाड़ियों की नीलामी या 'महाघोटाला'? नियमों का गला घोंटा, कौड़ियों के भाव बेची गाड़ियां; हाई कोर्ट ने नीतीश सरकार को फटकारा, रडार पर भ्रष्ट अधिकारी

पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने शराबबंदी कानून के तहत जब्त वाहनों की नीलामी में गंभीर अनियमितताओं और संभावित भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए बेहद सख्त टिप्पणी की है।

शराबबंदी में जब्त गाड़ियों की नीलामी या 'महाघोटाला'? नियमों

Patna  - पटना हाई कोर्ट ने शराबबंदी कानून के तहत जब्त वाहनों की नीलामी में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितताओं को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार के विरुद्ध संज्ञान लिया है।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और जस्टिस सौरेंद्र पांडेय की खंडपीठ ने मुजफ्फरपुर के एक मामले में स्पष्ट कहा कि अधिकारियों ने कानून द्वारा तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया और पूरे मामले में मनमानी व दुर्भावना के संकेत मिलते हैं। 

 ये मामला महिंद्रा स्कॉर्पियो एस-9 वाहन से जुड़ा है, जिसे 2020 में जब्त किया गया था। कोर्ट ने पाया कि वाहन मालिक को न तो विधिवत शो-कॉज नोटिस दिया गया और न ही सुनवाई का अवसर मिला। इसके बावजूद 490 वाहनों के साथ एक ही आदेश से वाहन को जब्त कर नीलामी कर दी गई। 

हैरानी की बात यह रही कि करीब ₹12.12 लाख बीमित मूल्य वाली दो साल पुरानी स्कॉर्पियो को मात्र ₹3.85 लाख में बेच दिया गया।कोर्ट ने मूल्यांकन प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि नीलामी से पहले आवश्यक अखबारी विज्ञापन नहीं किया गया और कुछ चुनिंदा लोग बार-बार कई वाहन खरीदते पाए गए, जिससे सांठगांठ की आशंका मजबूत होती है। 

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह वाहन मालिक को ₹12,12,517 की राशि 6% वार्षिक ब्याज सहित और ₹10,000 मुकदमे के खर्च के रूप में भुगतान करे। साथ ही, इस नुकसान की भरपाई दोषी अधिकारियों से वसूली जाए। 

मामले की गंभीरता को देखते हुए आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) को एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश दिए गए हैं।