Patna News:शराब काण्ड और बाइक लुट का आरोपी जेल से छूटा तो चला रहा है थाने की गाडी
Patna Police News: राजधानी में शराब के अवैध धन्धे और बाइक चोरी जैसे गंभीर अपराध में युवक का हुआ जिस थाने से चालान उसी थाने में जेल से छूटकर आरोपी चला रहा निजी ड्राइवर के तौर पर पुलिस वाहन

N4N डेस्क: बिहार के थानो में प्राइवेट चालकों द्वारा पुलिस वाहन चलाने पर पुलिस मुख्यालय समय समय पर नाराजगी व्यक्त करता रहता है. उन्हें तत्काल हटाने का निर्देश भी जारी करता रहता है. पुलिस वाहन की स्टेरिंग अपने हाथों में थाम कर ऐसे चालक खुद को पुलिसकर्मी से कम नहीं समझते. इस कारण ऐसे प्राइवेट चालकों पर बार-बार आरोप भी लगते रहे हैं. इन चालकों की सेटिंग-गेटिंग इतनी मजबूत है कि थानाध्यक्ष बदल जाते हैं, लेकिन ये जमे रहते हैं. हालात ये है कि प्राइवेट ड्राइवर थाने का चहेता बन जाते है.इनकी पकड़ अवैध धंधेबाजों पर बेहद मजबूत होती है जो अवैध उगाही का माध्यम बन गया है.
पुलिस मुख्यालय का सख्त निर्देश है कि प्राइवेट चालकों को थानों से अविलंब हटाया जाय. इसके आलोक में कई जिलों में प्राइवेट चालकों पर डंडा भी चला है. लेकिन कुछ दिनों बाद फिर वही ढ़ाक के तीन पात वाली कहानी शुरू हो जाती है. थानों में प्राइवेट चालकों की तूती बोलने लगती है. हालात का तफसरा करे तो सुदूर जिलो की बात छोडिये जनाब राजधानी पटना के अधिकतर थानों में प्राइवेट चालक ही थाने का वाहन चला रहे हैं. जो कभी पुलिस वर्दी तो कभी चितकबरी वर्दी पहन कर पुलिस वाहन चलाते दिख जायेंगे. इनका रौब किसी दारोगा से कम नहीं होता है.अगर थानो के सीसीटीवी फुटेज से जांच की जाये तो एक-एक थानों में दो-दो, तीन-तीन निजी चालक काम कर रहे हैं.
आदेश के बावजूद थानों से नहीं हटाये गये प्राइवेट चालक
पटना जिले के अधिकांश थानों के वाहनों की स्टेयरिंग निजी हाथों में है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस मुख्यालय की गाइड लाइन के अनुसार प्राइवेट चालकों को थानों में नहीं रखना है. इससे कई बार सूचनाओं के लीक होने का खतरा भी बना रहता है. जबकि उनकी संलिप्तता गलत गतिविधियों को अंजाम देने वालों के साथ होती है. लेकिन चालकों की कमी के कारण यह स्थित पैदा हुई है. मजबूरन अकुशल ड्राइवरों से थाने की पुलिस अपना किसी तरह काम चलाती है. क्योंकि हाल के दिनों में थानों की संख्या बढ़ा दी गयी है. लेकिन उसे चलाने के लिए सिपाही चालक नहीं हैं. अगर सिपाही चालक हैं तो एक की संख्या में हैं. उनसे तीन-तीन, चार-चार वाहन 24 घंटे चलाना संभव नहीं है. इसी कारण निजी चालकों से काम लिया जा रहा है.
लापरवाही या लालच
खुलासा जारी है ......