बिहार के थानों में दर्ज होनेवाले FIR,केस डायरी और आरोप पत्र में नहीं होगा जाति का जिक्र!, महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में बताया सरकार का फैसला

बिहार के थानों में दर्ज होनेवाले FIR,केस डायरी और आरोप पत्र

Patna - पटना हाईकोर्ट ने राज्य भर में दर्ज होने वाली प्राथमिकी और केस डायरी तथा आरोप पत्र में अभियुक्त का जाति लिखने जाने पर राज्य सरकार से जबाब तलब किया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस राजेश कुमार वर्मा की खंडपीठ ने अधिवक्ता सरोज कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की।

उनका कहना था कि राज्य भर में दर्ज होने वाली प्राथमिकी और केस डायरी तथा आरोप पत्र में अभियुक्त का जाति लिखने की प्रथा पुलिस थाना और पुलिस अधिकारी आज तक निभा रहे हैं।

वही महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि दर्ज होने वाली प्राथमिकी और केस डायरी तथा आरोप पत्र में अभियुक्त का जाति लिखना न्यायोचित नहीं है।उन्होंने इस प्रथा को बंद करने के बारे में पुलिस अधिकारियों से विचार विमर्श करने की बात कही। कोर्ट ने भी इसे अनुचित माना।इस मामलें पर सात सप्ताह के बाद सुनवाई होगी।

गौरतलब है कि बीते सिंतबर माह में यूपी सरकार ने इस  संबंध में आदेश जारी किया गया था, जिसमें किसी प्राथमिकी में जाति के कॉलम को खाली छोड़ने का आदेश दिया गया था। जिसका सभी लोगों ने स्वागत किया था। अब बिहार में इसे लागू किया जा सकता है।