Bihar News: रेणु केवल लेखक नहीं, जनपदीय चेतना के प्रतीक, हिंदी साहित्य के महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की स्मृति में दो दिवसीय कार्यक्रम का हुआ आयोजन
Bihar News: कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा कला भवन, पूर्णिया के नाट्य विभाग द्वारा प्रस्तुत नाटक "पंचलेट", जो रेणु की लोकप्रिय कहानी पर आधारित था। नाटक का निर्देशन विश्वजीत कुमार सिंह ने किया।

Bihar News: पूर्णिया में हिंदी साहित्य के महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की स्मृति में आयोजित दो दिवसीय "रेणु-स्मृति-पर्व 2025" का पहला दिन साहित्य, संस्कृति और जनचेतना के मिलन का मंच बना। कार्यक्रम का आयोजन बिहार विधान परिषद के उपसभापति प्रो. (डॉ.) रामबचन राय की प्रेरणा से संभव हुआ। उन्होंने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि "रेणु केवल लेखक नहीं, जनपदीय चेतना के प्रतीक और स्वतंत्रता संग्राम के जीवंत साक्षी थे।" कार्यक्रम के उद्घाटन में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक और सचिव डॉ. के. एस. राव शामिल हुए। उन्होंने रेणु के साहित्य को भारत की जनभाषा और जनभावना का दस्तावेज़ बताया और कहा कि "रेणु का लेखन आम जन के संघर्ष, संवेदना और स्वाभिमान की सच्ची अभिव्यक्ति है।"
मंच पर गूंजे जनपद चेतना के स्वर
पूर्णिया और कोसी-सीमांचल क्षेत्र के अनेक प्रमुख साहित्यकारों व वक्ताओं ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया। राम नरेश भक्त, नीरद जनवेणु, रामदेव सिंह, कला रॉय, शम्भु लाल वर्मा, संजय कुमार सिंह, सुरेन्द्र यादव, निरुपमा रॉय, मो. कमाल और गिरीन्द्र नाथ झा जैसे वक्ताओं ने रेणु के साहित्य, उनके सामाजिक सरोकार और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
‘पंचलेट’ की रंगमंचीय प्रस्तुति बनी आकर्षण का केंद्र
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा कला भवन, पूर्णिया के नाट्य विभाग द्वारा प्रस्तुत नाटक "पंचलेट", जो रेणु की लोकप्रिय कहानी पर आधारित था। नाटक का निर्देशन विश्वजीत कुमार सिंह ने किया और इसमें झारखंड से आए वरिष्ठ रंगकर्मी दिनकर शर्मा सहित अन्य कलाकारों ने दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
आयोजन में विविध भागीदारी
इस आयोजन का संयुक्त आयोजन पूर्णिया विश्वविद्यालय और विद्या विहार आवासीय विद्यालय ने किया। प्रो. ज्ञानदीप गौतम को विश्वविद्यालय समन्वयक बनाया गया, जबकि आयोजन की रूपरेखा प्रो. (डॉ.) रत्नेश्वर मिश्रा ने पत्रकार वार्ता में साझा की।
औराही हिंगना की यात्रा और साहित्यिक वाचनालय
12 अप्रैल को सभी आमंत्रित अतिथि रेणु के पैतृक गांव औराही हिंगना की यात्रा करेंगे, जहां वे उनके स्मृति स्थलों का अवलोकन कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। कार्यक्रम स्थल पर स्थापित विशेष वाचनालय में रेणु की रचनाओं के साथ-साथ स्थानीय लेखकों की कृतियाँ भी प्रदर्शित की गईं, जिसका उद्देश्य जनपदीय साहित्य को नए पाठकों तक पहुँचाना और क्षेत्रीय साहित्य को सम्मान देना रहा।
युवाओं की सक्रिय सहभागिता
विद्या विहार और पूर्णिया विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, साथ ही स्थानीय साहित्य प्रेमियों ने भी इस आयोजन में उत्साहपूर्वक भाग लिया और रेणु की साहित्यिक विरासत को निकट से अनुभव किया। प्रमुख साहित्य प्रेमियों में प्रो. सी.के. मिश्र, प्रो. उषा शरण, प्रो. वंदना भारती, वैदिक पाठक, संजीव सिंह, राजेश शर्मा, पूजा मिश्र, स्वरूप दास, रमेश मिश्र और उमेश मिश्र जैसे नाम शामिल रहे।
साहित्य और समाज का संवाद
रेणु-स्मृति-पर्व 2025 न केवल साहित्य का उत्सव रहा, बल्कि यह युवाओं को समाज से जोड़ने का भी सशक्त माध्यम बना। यह आयोजन जनपद चेतना, साहित्यिक परंपरा और सांस्कृतिक संवाद का ऐतिहासिक दस्तावेज़ बनकर उभरा है, जिसकी प्रतिध्वनि आने वाले वर्षों तक सुनाई देती रहेगी।