Bihar Politics:रणनीति से राजनीति तक, प्रशांत किशोर का चुनावी दांव, जन सुराज के उम्मीदवारों की तारीख भी तय

Bihar Politics: बिहार की सियासी ज़मीन पर अब मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। चुनावी रणभूमि सज चुकी है, तारीख़ों का एलान हो चुका है, और अब मैदान में उतर रहे हैं जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर...

Prashant Kishor
रणनीति से राजनीति तक- फोटो : social Media

Bihar Politics: बिहार की सियासी ज़मीन पर अब मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। चुनावी रणभूमि सज चुकी है, तारीख़ों का एलान हो चुका है, और अब मैदान में उतर रहे हैं जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर वो नाम जिसने देशभर की राजनीति में चुनावी रणनीति का खेल बदला, अब खुद खिलाड़ी बनने जा रहे हैं। सोमवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने साफ़ किया कि “जनसुराज पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेगी और 9 अक्तूबर को उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की जाएगी जिसमें मेरा नाम भी होगा।”

प्रशांत किशोर ने अपनी राजनीतिक पारी का ऐलान उसी आत्मविश्वास के साथ किया जिसके लिए वो जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि “यह ऐलान बिहार की सियासत में एक सरप्राइज साबित होगा।” हालांकि, उन्होंने अभी तक ये नहीं बताया कि वो किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।

चुनाव आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार बिहार में मतदान दो चरणों में होगा—पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा 11 नवंबर को। नतीजों की घोषणा 14 नवंबर को की जाएगी। राज्य के पुराने सियासी घरानों और गठबंधनों के बीच जनसुराज पार्टी का यह प्रवेश सत्ता समीकरणों में नई हलचल मचा रहा है।

प्रशांत किशोर ने अपने अंदाज़ में आंकड़ों की भाषा में दावे पेश किए। उन्होंने कहा, “पिछले चुनाव में एनडीए और महागठबंधन को कुल 72 फ़ीसदी वोट मिले थे। बाकी बचे 28 फ़ीसदी वोटर किसी को नहीं चुन सके। इस बार वही वोट हमारा आधार बनेंगे। जनसुराज उन 28 फ़ीसदी लोगों की आवाज़ है जो बदलाव चाहते हैं।”

पीके ने यह भी साफ़ कर दिया कि उनकी पार्टी किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि “जनसुराज किसी जाति, धर्म या परिवार की पार्टी नहीं है, बल्कि यह बिहार के भविष्य की आंदोलन है।” साथ ही उन्होंने तीखे अंदाज़ में भविष्यवाणी की “इस चुनाव के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे।”

सियासी हलकों में पीके की यह घोषणा झटके की तरह गूंजी है। एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों ही खेमों में अब यह चिंता है कि जनसुराज तीसरा मोर्चा बनकर वोटों का बड़ा हिस्सा काट सकता है।

अब सबकी नज़र 9 अक्तूबर पर है, जब प्रशांत किशोर अपने उम्मीदवारों की लिस्ट के साथ बिहार की सियासत में एक नया मोड़ लाने का दावा करेंगे। सवाल ये है—क्या रणनीति का यह उस्ताद मैदान में भी वही जादू दिखा पाएगा, जो उसने दूसरों के लिए रचा था?