Raxaul Airport: रक्सौल एयरपोर्ट से उड़ान के सपनों को लगने वाले हैं पंख! कैबिनेट की बैठक में जमीन अधिग्रहण से जुड़े लिए गए बड़े फैसले

Raxaul Airport: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित रक्सौल एयरपोर्ट को उड़ान योजना के तहत विकसित किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

 Raxaul Airport
रक्सौल हवाई अड्डा भूमि अधिग्रहण- फोटो : SOCIAL MEDIA

Raxaul Airport: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल एयरपोर्ट से हवाई सफर का सपना अब हकीकत बनने के करीब है। लंबे समय से लंबित इस परियोजना को केंद्र सरकार की उड़ान योजना में शामिल किया गया है और अब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को 207.70 करोड़ रुपये की मंजूरी के साथ गति मिल गई है।

139 एकड़ नई भूमि का अधिग्रहण होगा

पहले इस एयरपोर्ट के पास 137 एकड़ भूमि पहले से उपलब्ध थी, लेकिन एयरपोर्ट के पूर्ण विकास और उड्डयन मानकों के अनुसार संचालन के लिए अतिरिक्त 139 एकड़ भूमि की आवश्यकता बताई गई थी। इस अतिरिक्त भूमि के लिए छह गांवों में भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है: चिकनी, सिंहपुर, सिसवा, एकडेरवा, भरतमही और चंदौली। लगभग 400 रैयतों की भूमि का अधिग्रहण होगा। खेसरा पंजी बन चुका है और पैमाइश का कार्य पूरा हो गया है।11 जून को ए.एन. सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान की पहली रिपोर्ट दी जाएगी, और 20 जून तक अंतिम रिपोर्ट आने की उम्मीद है, जिसके बाद भूमि अधिग्रहण और भुगतान की प्रक्रिया शुरू होगी।

1962 से 2025 तक: रक्सौल एयरपोर्ट का सफर

इस एयरपोर्ट की स्थापना वर्ष 1962-63 में भारत-चीन युद्ध के दौरान की गई थी। इसका उद्देश्य था कि नेपाल से सटी सीमा पर जरूरत पड़ने पर सेना के विमान उतारे जा सकें। लेकिन युद्ध के बाद यह एयरपोर्ट निष्क्रिय हो गया और दशकों तक अनदेखी का शिकार रहा।अब, केंद्र सरकार ने इसे “उड़ान योजना” (UDAN: Ude Desh ka Aam Nagrik) में शामिल कर इसे आम जनता की हवाई यात्रा का केंद्र बनाने का निर्णय लिया है।

नागरिक सेवाओं और क्षेत्रीय विकास को मिलेगा बढ़ावा

रक्सौल एयरपोर्ट के विकसित हो जाने से कई बहुआयामी लाभ सामने आएंगे।भारत-नेपाल व्यापार और आवागमन को सुगम बनाया जा सकेगा। स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया जीवन मिलेगा। आसपास के जिलों—मोतिहारी, बेतिया, सीतामढ़ी, और नेपाल के वीरगंज—के लोगों को सीधी हवाई सेवा का लाभ मिलेगा। पर्यटन, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा।सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी।