सांसद बन गए पर बंगले का मोह नहीं छूटा! RJD ने पूछा- क्या रसूख के बल पर सरकारी आवासों पर काबिज हैं जेडीयू के दिग्गज?

आरजेडी प्रवक्ता नवल किशोर यादव ने भवन निर्माण विभाग को पत्र लिखकर संजय झा, देवेश चंद्र ठाकुर और जीतन राम मांझी जैसे नेताओं द्वारा सरकारी बंगलों पर काबिज रहने पर सवाल उठाए हैं।

सांसद बन गए पर बंगले का मोह नहीं छूटा! RJD ने पूछा- क्या रसू

Patna - राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. नवल किशोर यादव ने बिहार के भवन निर्माण विभाग को पत्र लिखकर जेडीयू के दिग्गज नेताओं और केंद्रीय मंत्री द्वारा सरकारी बंगलों पर अवैध रूप से काबिज रहने का आरोप लगाया है। आरजेडी ने पूछा है कि आखिर किस नियम के तहत ये नेता अभी तक इन बंगलों में रह रहे हैं। 

संजय झा और देवेश चंद्र ठाकुर पर निशाना

RJD प्रवक्ता ने भवन निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में राज्यसभा सांसद संजय झा और लोकसभा सांसद देवेश चंद्र ठाकुर का नाम लिया है। पत्र के अनुसार, ये दोनों नेता मंत्री और सभापति की हैसियत से आवंटित बिहार सेंट्रल पूल के मकानों में अभी भी रह रहे हैं, जबकि वे अब सांसद बन चुके हैं और उन्हें दिल्ली में आवास आवंटित है। 

रसूख या दस गुना भुगतान?

आरजेडी ने तीखे सवाल पूछते हुए विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या इन बंगलों को खाली न कराया जाना नेताओं के रसूख का इस्तेमाल है?। पत्र में यह भी पूछा गया है कि क्या ये सदस्य बाजार दर से दस गुना अधिक भुगतान कर रहे हैं या किसी विशेष मोह के कारण बंगले पर काबिज हैं। 

'तहखाने' का जिक्र कर बढ़ाया राजनीतिक तापमान

पत्र में एक चौंकाने वाला आरोप लगाते हुए पूछा गया है कि "क्या बंगले के अंदर तहखाना तो नहीं है, जिसको बचाए और खपाए जाने के कारण अभी तक बंगला में काबिज हैं?"। इस सवाल ने बिहार की सियासत में हलचल तेज कर दी है। 

जीतन राम मांझी के आवास पर भी सवाल

RJD ने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के पटना सेंट्रल पूल के बंगले में रहने पर भी आपत्ति जताई है। पत्र में पूछा गया है कि क्या उनकी पुत्रवधू को यह बंगला आवंटित किया जा सकता है और क्या 'सीनियरिटी' इसकी इजाजत देती है?। 

विभाग से मांगा गया जवाब

प्रो. नवल किशोर यादव ने विभाग से अनुरोध किया है कि इस संदर्भ में वस्तुस्थिति स्पष्ट की जाए। उन्होंने पूछा है कि आवास कब तक खाली होगा और जो नेता समय सीमा के बाद भी रह रहे हैं, उनसे कितना गुना अधिक किराया वसूला गया है। 

आरजेडी की मांग: पारदर्शिता हो बहाल

आरजेडी ने उम्मीद जताई है कि पत्र को गंभीरता से लेते हुए सरकार बंगलों के अवैध कब्जे को समाप्त कराएगी। यह पत्र 30 दिसंबर 2025 की तारीख में जारी किया गया है, जिसने नए साल से पहले बिहार में एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।

Report - abhijeet singh