Patna News :पटना में आसमानी कहर! ठनका गिरने से 3 की मौत, 4 घायल, परिजनों में कोहराम

Patna News: पटना में आसमानी आफत की जद में आने से 3 लोगों ने जान से हाथ धो दिया है।

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आसमानी कहर! - फोटो : meta

Patna News: बिहार में सोमवार रात कई जिलों में मौसम अचानक बिगड़ गया। तेज आंधी, बारिश और वज्रपात ने कई इलाकों में तबाही मचाई। पटना सहित कई जिलों में ठनका गिरने की घटनाएं सामने आई हैं।पटना में सोमवार रात एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। बख्तियारपुर के नई बायपास, राघोपुर में ठनका (आकाशीय बिजली) गिरने से तीन लोगों की जान चली गई, जबकि चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसे ने न केवल पीड़ित परिवारों में मातम फैला दिया, बल्कि बिहार में मौसम की मार और ठनका से होने वाले खतरों को एक बार फिर उजागर कर दिया।

जानकारी के अनुसार, सोमवार रात राघोपुर के कुछ लोग खेत में गेहूं की दौनी (अनाज की सफाई) कर रहे थे। अचानक मौसम ने करवट ली और तेज आंधी-तूफान के साथ बारिश शुरू हो गई। आंधी से बचने के लिए ये लोग ट्रैक्टर के डाले (ट्रॉली) के नीचे छिप गए। इसी दौरान वहां ठनका गिर गया, जिसकी चपेट में आने से तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों में एक किशोर भी शामिल है। हादसे में चार अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सभी मृतक और घायल नई बायपास, राघोपुर के निवासी बताए जा रहे हैं।

ठनका गिरने से हुई इस त्रासदी ने पीड़ित परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया है। मृतकों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की है। बिहार सरकार ने ऐसी प्राकृतिक आपदाओं में मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है, और इस मामले में भी प्रशासन से ऐसी सहायता की उम्मीद की जा रही है। पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है, और घायलों के इलाज के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

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बिहार वज्रपात के लिहाज से एक संवेदनशील राज्य है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों में 39% ठनका गिरने के कारण होती हैं। बिहार में हर साल औसतन 300 लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवाते हैं। हाल के वर्षों में यह आंकड़ा और बढ़ा है, जैसे कि 2020 में 400 और 2021 में 280 मौतें दर्ज की गई थीं। इस साल अप्रैल में ही बिहार में ठनका से 43 लोगों की मौत हो चुकी है। ग्रामीण इलाकों में, जहां लोग खेतों में काम करते हैं, ऐसी घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है।

मौसम विज्ञान केंद्र, पटना ने पहले ही बिहार के कई जिलों में आंधी, बारिश और वज्रपात का अलर्ट जारी किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि दोपहर और शाम के समय, जब लोग खेतों में काम कर रहे होते हैं, ठनका गिरने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। बिहार सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चला रहे हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में ग्रामीण आबादी अब भी जोखिम में है। ठनका से बचने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:

आंधी-तूफान के समय खुले मैदान, पेड़ों या जल स्रोतों के पास न रहें।

सुरक्षित स्थानों, जैसे पक्के मकानों में शरण लें।

खेतों में काम करने से बचें, खासकर जब बादल गरज रहे हों।