'वोटबंदी' के खिलाफ विपक्ष के 35 नेताओं को तेजस्वी ने लिखा पत्र, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी के खिलाफ खोला मोर्चा

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राज्य में लाखों मतदताओं का नाम वोटर लिस्ट से हटाने की भाजपा पर साजिश रचने का आरोप लगाते हुए तेजस्वी यादव ने विपक्ष के 35 नेताओं को पत्र लिखा है.

Tejashwi Yadav
Tejashwi Yadav- फोटो : news4nation

Bihar News : बिहार में चल रहे  मतदाता सूची पुनरीक्षण को वोटबंदी बताते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे लेकर देश के 35 बड़े नेताओं को पत्र लिखा है. उन्होंने शनिवार को कहा कि बीजेपी सरकार के इशारे पर चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची पुनरीक्षण की आड़ में मतदान के अधिकार एवं लोकतंत्र पर किए जा रहे हमले के विरुद्ध देश की विभिन्न पार्टियों के 35 बड़े नेताओं को पत्र लिखा है. हम सब मिलकर इस प्रक्रिया का तब तक विरोध करेंगे जब तक यह पारदर्शी एवं समावेशी ना हो। 


उन्होंने अपने पत्र में लिखा है, मैं आपको गहरी पीड़ा और तात्कालिकता के साथ लिख रहा हूँ। बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का तमाशा और त्रासदी बड़े पैमाने पर मताधिकार से वंचित करके लोकतंत्र की नींव हिला रही है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि कैसे भारतीय चुनाव आयोग (ECI) जैसी 'स्वतंत्र संस्था' हमारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता में जनता के विश्वास को खत्म करने पर अड़ी हुई है। इस देश का हर व्यक्ति, चाहे उसकी पृष्ठभूमि या स्थिति कुछ भी हो, अपने वोट पर गर्व करता है। देश के शासन में भागीदारी करने की क्षमता अत्यंत सशक्त बनाती है।


उन्होंने लिखा है कि अब लाखों मतदाताओं को, बिना किसी गलती के, अधिकारहीन और अपमानित किया जा रहा है। 16 जुलाई 2025 के ECI प्रेस नोट के अनुसार, लगभग 4.5% आबादी "अपने पते पर मतदाता नहीं मिलने" के नाम पर पहले ही मतदान से बाहर हो चुकी है। यह उन 4% लोगों के अतिरिक्त है जो "संभवतः" मर चुके हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। इन आँकड़ों के आधार पर, ज़मीनी पत्रकार और इस प्रक्रिया पर नज़दीकी से नज़र रख रहे राजनीतिक वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मताधिकार से वंचित लोगों की संख्या 12% से 15% के बीच है। यह हमारे देश के इतिहास में अभूतपूर्व है।


जैसा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है, एसआईआर का समय संदिग्ध है। चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया की घोषणा और क्रियान्वयन बेतरतीब और मनमानी तरीके से करके खुद के लिए कोई उपकार नहीं किया है। वे पारदर्शी नहीं रहे हैं। वे अपने नियम बना और तोड़ रहे हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि वे पारदर्शिता और जवाबदेही की माँग करने वाले हर व्यक्ति को निशाना बना रहे हैं।


उन्होंने कहा,  महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के अनुभव अभी भी हमारी स्मृतियों में ताज़ा हैं। हालाँकि, हम अभी भी चुनाव आयोग से एक नेकनीयती और ठोस प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अब बिहार की बारी है। इसका यथासंभव कड़े शब्दों में विरोध किया जाना चाहिए। क्योंकि अगर हम अपनी आवाज़ नहीं उठाएँगे और अपना कड़ा विरोध दर्ज नहीं कराएँगे, तो यही दूसरे राज्यों में भी किया जाएगा। संविधान की माँग है कि हम गणतंत्र की रक्षा करें। इस ऐतिहासिक मोड़ पर हमें पीछे नहीं रहना चाहिए।'

रंजन की रिपोर्ट