बांका बम कांड का अनसुलझा पहलू: 15 आरोपी, एक हत्या... फिर भी 14 लोग कैसे हो गए बरी?
पटना हाई कोर्ट ने 2016 के चर्चित बांका बम विस्फोट और हत्या मामले में निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगा दी है। कोर्ट ने सबूतों की कमी और गवाहों के बयानों में विरोधाभास के चलते 14 आरोपियों की रिहाई को सही ठहराया है।
Patna - पटना हाई कोर्ट ने बांका जिले के चर्चित बम विस्फोट और हत्या मामले में 14 आरोपितों को बरी किए जाने के फैसले को बरकरार रखा है। याचिकाकर्ता सुनील यादव द्वारा दायर आपराधिक अपील को रद्द करते हुए खंडपीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के निर्णय में न तो कोई कानूनी त्रुटि है और न ही ऐसे कारण मिले, जिन पर पुनर्विचार आवश्यक हो।
ये मामला वर्ष 2016 का है, जब जमीन विवाद को लेकर हुए झगड़े में अभियोजन पक्ष ने 15 लोगों पर पथराव, बम फेंकने और एक व्यक्ति की हत्या का आरोप लगाया था। साक्ष्यों की कमी के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने 14 आरोपितों को बरी कर दिया, जबकि मास्टर राउत के खिलाफ बम फेंक कर हत्या करने का आरोप सिद्ध पाया गया था।
अपीलकर्ता का कहना था कि सभी आरोपित एक अवैध भीड़ का हिस्सा थे और समान उद्देश्य से घटना में शामिल थे। लेकिन हाई कोर्ट ने पाया कि अभियोजन के सभी गवाह मृतक के परिजन थे, कोई स्वतंत्र गवाह सामने नहीं आया और कथित पथराव में किसी को चोट भी नहीं लगी, जिससे अभियोजन की कहानी कमजोर पड़ती है।
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से यह सिद्ध नहीं होता कि 14 आरोपितों का कोई साझा आपराधिक उद्देश्य था। इसलिए ट्रायल कोर्ट का निर्णय सही मानते हुए अपील रद्द कर दी गई।