PATNA - भूमि सर्वे में सभी 9 प्रमंडलों के सर्वर ने अलग-अलग काम करना शुरू कर दिया है। 9वां और अंतिम सर्वर सारण प्रमंडल के रूप में आज काम करना शुरू किया। इसके साथ ही दस्तावेजों की स्टोरेज की समस्या का अंत हो गया है। रैयतों को अब सर्वे निदेशालय के वेबसाइट पर जाकर अपनी स्वघोषणा एवं वंशावली को अपलोड करने में कोई परेशानी नहीं होगी।
यूजर्स को मिलेगा विकल्प
सर्वे निदेशालय की तकनीकी शाखा ने बताया कि निदेशालय की वेबसाइट के पेज पर यूजर्स को जिले के रूप नया विकल्प मिलेगा जिसका चयन करने पर उनका आवेदन उनके जिले से संबंधित प्रमंडल के लिए आरक्षित डाटा स्टोर में चला जाएगा। सभी प्रमंडलों का आंतरिक लिंक अलग-अलग कर दिया गया है, यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि डिजिटाइज्ड एवं स्कैंड डाटा को सेव करने में कोई परेशानी नहीं हो।
भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक कमलेश कुमार सिंह ने आज शास़्त्रीनगर स्थित सर्वे भवन में जूम के जरिए सभी 38 जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों से बात की। बातचीत का सार था कि सभी प्रमंडलों का सर्वर अलग किए जाने के बाद क्या अभी भी कोई तकनीकी समस्या बची हुई है और यदि है तो किस प्रकार की है। बंदोबस्त पदाधिकारियों ने एक सुर में कहा कि सर्वर को प्रमंडल वार किए जाने के पश्चात डाटा की प्रविष्टि/डिजिटाइजेशन और स्कैनिंग के काम में तेजी आई है। हालांकि कई जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों ने अपलोड हुए दस्तावेजों के नहीं दिखने की शिकायत की।
कुछ जगहों से आई शिकायतें
कई जिलों से पी-5 और पी-6 में प्रविष्टि के बाद लॉक नहीं होने की शिकायत मिली। किशनगंज जिले के बंदोबस्त पदाधिकारी ने मैप मॉड्यूल में मौजावार रिपोर्ट नहीं खुलने की शिकायत की। सीतामढ़ी जिले की शिकायत थी कि प्रपत्र-8 और प्रपत्र-14 का आदेश भू-सर्वेक्षण में अपलोड नहीं हो रहा है।
निदेशक श्री सिंह ने निदेशालय के प्रोग्रामर श्री कुणाल और श्री प्रिंस को 24 घंटे के अंदर सभी तकनीकी बाधाओं को दूर करने का आदेश दिया। निदेशक ने यह भी कहा कि ऑफलाइन मोड में प्राप्त सभी स्वघोषणा को इसी सप्ताह ऑनलाइन कर दिया जाए। उन्होंने बंदोबस्त पदाधिकारियों से कहा कि स्वघोषणा प्राप्त करने के लिए सभी अमीन को अपने-अपने गांव में घर-घर जाकर अभियान चलाने का अपने स्तर से निदेश दें।
आज की बैठक में निदेशक ने उन सभी सर्वे कर्मियों के त्यागपत्र और अनापत्ति के मुद्दे से निदेशालय को शीघ्र अवगत कराने का आदेश भी दिया जिन्होंने किन्हीं कारणों से नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया है। बड़ी संख्या उन कर्मियों की भी है जिन्हें सर्वे में ही प्रोन्नति प्राप्त करने के पश्चात उपर के पद पर दूसरे जिले में योगदान दिया है। उन्हें निदेशालय से अनापत्ति की आवश्यकता है।
सर्वे में लगे 900 कर्मियों ने छोड़ दी नौकरी
गया जिले में 42 और मधुबनी में 26 सर्वे कर्मियों ने त्याग पत्र दिया है। सभी जिलों को मिलाकर ऐसे कर्मियों की संख्या करीब 900 है जिन्होंने जूनियर इंजीनियर के पद पर चयन के बाद सर्वे कर्मी के पद से त्यागपत्र दे दिया है। बाद में कोई तकनीकी या प्रशासनिक समस्या नहीं हो इसलिए निदेशक ने सभी त्यागपत्र को निदेशालय स्तर से स्वीकृत करने का आदेश दिया है।