GAYA : 13 नवम्बर यानी कल बिहार के चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। चुनाव प्रचार का शोर थम चूका है। जिसमें महागठबंधन और NDA के के नेताओं के द्वारा धुंआधार प्रचार किया गया है। इस चुनाव को 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल बताया जा रहा है। बात इमामगंज विधानसभा सीट की करे तो यहाँ NDA की ओर से दीपा मांझी, महागठबंधन की ओर से राकेश मांझी और जन सुराज की तरफ से जितेन्द्र पासवान मैदान में हैं। दीपा मांझी ने NEWS4NATION की रिपोर्टर वंदना शर्मा से बातचीत के दौरान में कहा कि अगर इमामगंज की जनता मौका देती है तो सबसे पहले महिलाओं को सशक्त बनायेंगे। लड़कियों के लिए शिक्षा में और भी ज्यादा सुधार करेंगे। सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली सहित तमाम सुविधाओं के लिए काम करेंगे। जिससे यहां की जनता को सहूलियत मिलेगी। उन्होंने कहा कि जीत और हार मायने नहीं रखता है। लेकिन अगर मौका मिलेगा तो जनता के बीच ज्यादा से ज्यादा समय देंगे।
वहीँ दीपा मांझी ने कहा की यहां की जनता को लगता है कि वह उनको चुनती है तो उनके विश्वास पर खरे उतरेंगे। हमें भी विश्वास है कि हम उनके विश्वास पर खरे उतरेंगे। कहा कि जीतनराम मांझी यहां से 9 साल विधायक रहे हैं। उन्होंने बहुत काम किया है। उसके पहले लोग शाम के 6:00 बजे के बाद निकलते नहीं थे। लड़कियां रोड पर नहीं निकलती थी। सबसे पहले पापा ने इस क्षेत्र से भय को दूर किया। यह नक्सली इलाका है जहां रोड नहीं था। वहां भी अब रोड पहुंच गया है। अस्पताल में एंबुलेंस नहीं था। जिसकी व्यवस्था की गई है। लोगों से अपील है कि जितने भी वोट से पापा को जिताया है उससे अधिक वोट से हमें विजयी बनाएं।
वहीँ एनडीए प्रत्याशी दीपा मांझी की मां और बाराचट्टी से हम की विधायक ज्योति मांझी ने जीतनराम मांझी पर परिवारवाद करने के आरोप पर कहा की जो परिवार समाज के काम में न्योछावर हो गया। उसपर परिवारवाद का आरोप लगाया जाता है। लालू जी के परिवार को ही देख लीजिए। पति पत्नी राजनीति में है। दो बेटी राजनीति में है। दो बेटे हैं। उनको कोई नहीं कहता है। सुरेंद्र यादव एमपी बन गए, अब उनका बेटा चुनाव में खड़ा है। उनको कोई नहीं कह रहा है। कुमार सर्वजीत के पिताजी विधायक थे। नीतीश कुमार ने हमें कीचड़ से निकलकर कमल बनाया है। हमारे समधी को कोई दोष नहीं दिया जाए। वह परिवारवाद नहीं करते हैं।
वहीँ ज्योति मांझी ने दीपा मांझी को बताने पर हमारी बेटी इतनी मजबूत है की जिस समय लोग साइकिल और मोटरसाइकिल नहीं चलाते थे। दीपा मांझी 13 किलोमीटर पैदल पढ़ने जाया करती थी। बाद में गया मोटरसाइकिल से कॉलेज जाया करती थी। हमारे एनजीओ के माध्यम से भी वह महिलाओं को जागरूक करने का प्रयास करती थी। इसके अंदर शुरू से ही दया की भावना है। हर गरीब की मदद के लिए यह तैयार रहती थी। ऐसे ही लोगों को राजनीति में लाना चाहिए। जिसके अंदर कुछ करने का जज्बा हो। अपनी आर्थिक स्थिति बताते हुए ज्योति मांझी ने कहा कि रहर चुनकर हम लोग उससे चावल बदलकर खाते थे। बहुत मुश्किल से हम लोगों का जीवन परवरिश हुआ है। हमने बेटी को उसे समय पढ़ाया है जब हमारे हाथ में पैसा नहीं था।
वंदना शर्मा की रिपोर्ट