Bihar News: बिहार के दरभंगा जिला के कुशेश्वरस्थान विधानसभा के कुशेश्वरस्थान बाजार स्थित सीएससी का मंगलवार को जदयू के विधायक अमन भूषण हजारी ने औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान चिकित्सा पदाधिकारी मो. सोहराब अस्पताल में मौजूद नही थे। निरीक्षण के वक्त अस्पताल में दो चिकित्सक सहित अस्पताल के मैनेजर लोकेश कुमार व अन्य कर्मी मौजूद थे। निरीक्षण के दौरान विधायक ने अस्पताल में कई खामिया पाई। साथ ही वहां मौजूद मरीज व उनके परिजन ने अस्पताल में हो रही कठनाइयों से विधायक को अवगत कराया।
वही अस्पताल में मौजूद लोगो ने कहा कि यहां के चिकित्सा पदाधिकारी मो सोहराब जब से प्रभार लिए है। तब से वे सप्ताह में सिर्फ एक दिन ही अस्पताल आते है। बांकी के दिन वे बिरौल में अपना निजी नर्सिंग होम चलाते है।वही अस्पताल की व्यवस्था और चिकित्सा पदाधिकारी के मौजूद नही रहने पर विधायक ने वहां पर तैनात कर्मियों की जमकर क्लास लगाया। वही जब चिकित्सा पदाधिकारी को जानकारी मिली कि विधायक जी निरीक्षण कर रहे है। तो वो भागे भागे अस्पताल पहुंचे। जिसके बाद विधायक ने उनका भी क्लास लगाते हुए कहा कि जल्द से जल्द सारी व्यवस्था को दुरुस्त करे। नही तो इसकी शिकायत वो सरकार से करेंगे।
वही चिकित्सा पदाधिकारी मो सोहराब ने बताया कि अस्पताल में एमबीबीएस डॉक्टर नहीं रहने के कारण मरीज को जो सुविधा मिलनी चाहिए। उस सुविधा को हमलोग मरीज को नहीं दे पा रहे है। वहीं उन्होंने कहा कि सरकार से हम लोग यह आग्रह करना चाहते हैं कि यहां पर मरीजों की समुचित इलाज के लिए एमबीबीएस डॉक्टर की बहाली हो। वही सरकारी अस्पताल में ना आकर अपने निजी अस्पताल चलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह आरोप निराधार है। हमारे खिलाफ यहां पर षड्यंत्र रचा जा रहा है। वहीं उन्होंने कहा कि हमारे आने-जाने का रिकॉर्ड यहां के सीसीटीवी कैमरा में दर्ज है। आप लोग चेक कर सकते हैं।
वही कुशेश्वरस्थान विधानसभा के जदयू विधायक अमन भूषण हजारी ने कहा कि अस्पताल में काफी अनियमितता का शिकायत लगातार लोगो के द्वारा मिल रहा थी। जब निरीक्षण किए तो लोगो की बात सही निकली। वही उन्होंने कहा कि यहां के प्रभारी बोलते हैं कि यह अस्पताल एमबीबीएस डॉक्टर विहीन है। लेकिन यहां पर एक एमबीबीएस डॉक्टर यहां के प्रभारी खुद हैं। लेकिन ये सप्ताह में एक दिन आते हैं। जिस दिन यहां पर ऑपरेशन होना होता है। बाकी दिन यह अपने निजी क्लीनिक पर रहते हैं।
वही विधायक ने कहा कि इन्हें सिर्फ अपने वेतन से मतलब है। ये निजी क्लीनिक से इतना कमा लेते हैं कि सरकारी अस्पताल को यह क्या देखेंगे। सरकार के नियम कानून से कोई भय नहीं है। सरकारी स्तर पर इन्हें 70 से 80 हजार रुपया मासिक मिलता होगा। लेकिन निजी क्लीनिक से तो यह लाखों रुपए कमा रहे हैं। ये कहते हैं कि अस्पताल एमबीबीएस डॉक्टर विहीन है। अगर अस्पताल में सिंगल एमबीबीएस डॉक्टर आप हैं तो आपका दायित्व बनता है कि आप प्रतिदिन समय पर आकर यहां के मरीजों का इलाज करें।
रिपोर्ट- वरुण ठाकुर