Kishore Kunal: पटना महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का रविवार सुबह निधन हो गया. धार्मिक और जनसेवा के कार्यों में आने से पहले किशोर कुणाल आईपीएस थे. वे 1983 में पटना के एसएसपी रहे. उनके एसएसपी रहने के दौरान ही पटना स्टेशन के बाहर स्थित महावीर मंदिर का जीर्णोद्धार शुरू हुआ था. लेकिन दौर ऐसा भी आया जब लालू यादव महावीर मंदिर के एक हिस्से को तोड़ना चाहते थे. अपनी सरकार के मंत्रियों और पुलिस- प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ लालू यादव महावीर मंदिर के एक हिस्से को तोड़ने पहुंच गए थे. लेकिन तब किशोर कुणाल ने ऐसा किया कि लालू को बेरंग वापस लौटना पड़ा.
किशोर कुणाल की जीवनी 'दमन तक्षकों का' में महावीर मंदिर के एक हिस्से को तोड़ने वाले वाकये का जिक्र किया गया है. इसमें लालू यादव और किशोर कुणाल के बीच रिश्तों में खटास आने का पूरा मामला बयां किया गया है. साथ ही महावीर मंदिर पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाकर उसके एक हिस्से को तोड़ने की लालू सरकार की पहल का भी उल्लेख है.
महावीर मंदिर में दिया लालू को झटका
लालू यादव जब बिहार के सीएम बने उसके कुछ समय बाद उन्होंने पटना के महावीर मंदिर के महंत और शंकराचार्य के रूप में रमई राम के नाम को आगे किया. लेकिन किशोर कुणाल ने यहाँ भी लालू यादव को बड़ा झटका दे दिया. 1993 में किशोर कुणाल ने महावीर मंदिर में दलित पुजारी की नियुक्ति कर दी. कुणाल के इस कदम से लालू खार खा गए. 1993 में कुणाल ने अयोध्या के संत रविदास मंदिर के फलाहारी सूर्यवंशी दास को पुजारी बनवा दिया. यह लालू यादव के लिए तब सबसे बड़ा झटका था.
कुणाल को कान पकड़कर निकाल देना
2 जुलाई 1996 को लालू यादव ने किशोर कुणाल पर एक ऐसी टिप्पणी की जिसने भारी विवाद खड़ा कर दिया. कुणाल के महावीर मंदिर जाने पर लालू ने कहा - 'कुणाल महावीर मंदिर में वर्दी में घंटा बजाता है, ऐसे अफसर को कान पकड़कर निकाल देना चाहिए और जेल भेज देना चाहिए.' लालू की इस टिप्पणी को कुणाल ने आपत्तिजनक एवं अपमान मूलक करार दिया. लालू यादव से अपील की कि 24 घंटे के अंदर सार्वजनिक माफ़ी मांगे नहीं तो क़ानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें.
कुणाल से हार गए लालू !
वर्ष 1990 में लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने. वहीं किशोर कुणाल सीआईएसएफ में डीआईजी के पद पर पटना में तैनात थे. लालू यादव के एक नेता मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के खिलाफ किशोर कुणाल ने तब काफी सख्ती बरती थी. वहीं 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी किशोर कुणाल के नेतृत्व में सीआईएसएफ जवानों ने चुनाव को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण कराने के लिए काफी मशक्कत की. इसका बड़ा खामियाजा लालू यादव को उठाना पड़ा. यहाँ तक कि सीआईएसएफ के एक जवान ने पटना में एक बूथ पर लालू यादव के भतीजा मनोज राय को तमाचा जड़ दिया. कहा गया कि इन सबसे परेशान लालू यादव ने 1996 में केंद्र में एचदी देवेगौडा की सरकार बनने पर किशोर कुणाल को बिहार से हटाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाया. किशोर कुणाल का तबादला भी किया गया. लेकिन उन्होंने उसे केंद्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण (कैट) में चुनौती दी. इससे फैसला किशोर कुणाल के पक्ष में आया. यानी लालू यादव की सारी कोशिशें असफल साबित हुई.
मंदिर तोड़ने पहुंचे लालू
रमई राम के मुद्दे में लगा झटका और फिर कैट में मिली पराजय उस दौर में लालू यादव के लिए दो बड़े झटके थे जो किशोर कुणाल ने दिया था. कुणाल की जीवनी में लिखा गया है 'कैट में केस हारने के बाद लालू प्रसाद ने यह घोषणा की थी कि अब सुप्रीम कोर्ट में अपील होगी। अपील तो केन्द्र सरकार द्वारा कर दी गयी; किन्तु सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बावजूद लालूजी की ओर से कोई वकील वहाँ उपस्थित नहीं हुआ। न ही कोई शपथ-पत्र दायर हुआ। इसका कारण जानना जरूरी है। लालू जी ने कुणाल को तबाह करने के लिए सी.आई.एस.एफ. तक ही अपने को सीमित नहीं रखा; महावीर मन्दिर पर भी हमला बोल दिया। महावीर मन्दिर न्यास से कुणाल को हटाने की मुहिम तक तो बात समझी जा सकती थी। सत्ता के उन्माद में वे महावीर मन्दिर के दक्षिणी और पूर्वी भाग को ध्वस्त करने के लिए आधी कैबिनेट, अमलदारों एवं पुलिसकर्मियों की विशाल फौज लेकर महावीर मन्दिर पहुँचे थे। यहाँ इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि कुणाल उस रात वहाँ उपस्थित थे और मन्दिर को आशिक रूप से तोड़ने की तैयारी के विरोध में वे अपनी गिरफ्तारी देने को प्रस्तुत हुए, तब जाकर लालूजी ने मन्दिर के आशिक ध्वंस का विचार छोड़ा।'
चारा घोटाले का निकला जिन्न
महावीर मंदिर के एक हिस्से को ध्वंस करने वाली घटना के मात्र 72 घंटों के अंदर ही चारा घोटाले का जो जिन्न बोतल के अंदर बंद था, वह बाहर आ गया. बीस दिनों के बाद पटना के एक अखबार के मुख्य पृष्ठ पर एक रिपोर्ट छपी कि जबसे लालू प्रसाद ने किशोर कुमार और महावीर मन्दिर से बैर मोल लिया, तबसे लालू प्रसाद के दुर्दिन आ गये हैं।