N4N DESK : आज के जमाने में कोई व्यक्ति किसी सदन का सदस्य बन जाता है, तो जैसे कुबेर का खजाना उनके हाथ लग जाता है. अगर वो व्यक्ति आर्थिक रूप से ज्यादा संपन्न न भी हो, तो महंगे फोन, सवारी करने के लिए महंगी गाड़ी और रहने के लिए आलिशान ठिकाना बनाने में वक्त नहीं लगता. खासकर बिहार और झारखंड में यहीं देखने को मिलता है. लेकिन इन्हीं रिवायतों के बीच एक ऐसे विधायक भी हैं जिनके गरीबी के किस्से मशहूर है. विधायक जी की दादी आज फुटपाथ किनारे रोज सब्जी बेचती है. विधायक जी के घर पर आज भी चुल्हे पर खाना बनता है, बरसात में छत टपकती है, मां को 3000 रूपये पेंशन मिलती है और इसी पेंशन के सहारे विधायक जी बचपन से लेकर जवानी तक पहुंच गए. सोचिए कैसे उन्होंने अपना अपना दिन और रात गुजारा होगा. फिर भी तमाम कठिनाईयों के बावजूद वो डीगे नहीं. कॉलेज में पढ़ने हुए पीएचडी की उपाधि हासिल करने में लगे हैं. चाहे अब विधायक ही क्यों न बन गए हो.
झारखण्ड के हैं विधायक जी
जी हाँ, उस विधायक का नाम है जय राम महतो. जो झारखंड के डुमरी विधानसभा क्षेत्र से फिलहाल विधायक हैं. जय राम महतो झारखंड के भाषाई आंदोलन की उपज है. उन्होंने बचपन से ही गरीबी देखी है. उनकी दादी आज भी 80 साल की उम्र में रोड किनारे सब्जी बेचती है. अपने परिवार की भरण पोषण में परिवार का सहयोग करती है.
जयराम महतो का परिवार
जय राम महतो उर्फ टाइगर जयराम महतो का जन्म 27 सितंबर 1994 को मान टांड़, तोपचाची धनबाद में हुआ था. जयराम महतो के परिवार में कुल 4 सदस्य हैं – जयराम महतो ,उनकी मां, एक बूढ़ी दादी और एक छोटा भाई. उनके पिता एक झारखंड क्रांतिकारी थे. उनके पिता ने बिनोद बिहारी महतो के साथ झारखंड अलग राज्य आंदोलन में भाग लिया था. उनके पिता की मृत्यु उसी समय हो गयी थी जब जयराम महतो का जन्म भी नहीं हुआ था. उनकी मां को झारखंड सरकार से 3000 मासिक पेंशन मिलती है. जय राम बहुत ही गरीब परिवार से हैं, उनका घर आज भी मिट्टी का बना हुआ है. इतना गरीब कि आज भी बारिश हो तो उसके घर में पानी टपक जाता है. वह अपने गांव में सबसे अधिक शिक्षित व्यक्ति हैं. जयराम के एक चाचा भी हैं जो जन्म से अंधे हैं. जयराम महतो की प्रारंभिक शिक्षा उनके खूबसूरत गांव मान टांड़, तोपचाची धनबाद से हुई और अपनी आगे की पढ़ाई वे पी.के रॉय मेमोरियल कॉलेज धनबाद से कर रहे हैं.
जयराम महतो इतने मशहूर कैसे हुए
झारखंड सरकार ने 24 दिसंबर, 2021 को एक अधिसूचना जारी कर राज्य के 11 जिलों में राज्य स्तरीय परीक्षाओं के लिए झारखंड की बाहरी भाषाओं जैसे भोजपुरी, मगही और अंगिका को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में रखा. इस अधिसूचना के बाद झारखंड में भाषा आंदोलन शुरू हो गया, जिसके कारण युवाओं ने बोकारो, गिरिडीह और धनबाद जिलों में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया. इन युवाओं का नेतृत्व जयराम महतो ने किया. उनके साथ तीर्थनाथ आकाश भी थे. जयराम महतो ने 18 जून 2023 को धनबाद जिले के बलियापुर हवाई पट्टी मैदान में आयोजित अधिवेशन में एक नई पार्टी का गठन किया, जिसका नाम उन्होंने झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति रखा है. बाद में इसका नाम झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा ( JLKM) कर दिया गया.
कब बने जयराम महतो पहली बार विधायक
जयराम महतो ने साल 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में डुमरी विधानसभा क्षेत्र से जेएमएम की बेबी देवी को 10945 मतों से हराकर चुनाव जीता और पहली बार विधायक बने. झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सह मंत्री बेबी देवी को हराकर विधानसभा तक पहुंचे. जयराम कुमार महतो को 93401 मत मिले थे, जबकि बेबी देवी को 82955 मत मिले. विधायक का चुनाव लड़ने से पहले संसद का चुनाव गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से लड़े थे. तब जय राम महतो को 3,47,322 वोट मिले थे.
देबांशु प्रभात की रिपोर्ट