Bihar Teacher Transfer Posting: बिहार के शिक्षकों के लिए आज का दिन अहम रहा। मंगलवार की सुबह सुबह ही पटना हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति पर स्टे लगा दिया। हाईकोर्ट के स्टे की खबर पूरे बिहार के शिक्षा जगत में आग की तरह फैल गई। यह नीतीश सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका था। सरकार का मुख्य खेमा इस आदेश पर सक्रिय हो उठा। मंत्रिमंडल के कुछ खास लोग मंथन करने लगे। परिणाम यह हुआ कि शिक्षा मंत्री को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हाईकोर्ट के स्टे की आड़ में अपने ही द्वारा बनाई गई नीतियों के सामने सरेंडर करना पड़ा। कहना पड़ा कि अभी इस नीति को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाता है और अब नियम में संशोधन किया जाएगा। साथ ही तमाम शिक्षकों के सक्षमता परीक्षा पास कर जाने के बाद ट्रांसफर पोस्टिंग की नीति का पुनः क्रियान्वययन किया जाएगा।
सरकार में पहले से ही नीति को लेकर थी उहापोह की स्थिति
हाईकोर्ट द्वारा शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर स्टे लगाए जाने के बाद इसे एक तरफ शिक्षकों के विरोध के जीत के प्रतीक के तौर पर देखा गया तो वहीं दूसरी तरफ यह सरकार के लिए बड़ा झटका माना गया। गौरतलब है कि इस नियमावली और साथ ही सक्षमता पास शिक्षकों के नियुक्ति पत्र वितरण को लेकर शिक्षक संघों के द्वारा पहले ही ऐलान कर दिया गया है कि 25 तारीख से हो रहे विधानसभा सत्र के दौरान शिक्षकों के द्वारा विधानसभा का घेराव किया जाएगा। लेकिन अंदर की खबर यह है कि शिक्षकों द्वारा लगातार हो रहे विरोध और अपने ही विधान पार्षदों की तरफ से इस नीति को लेकर की जा रही आपत्ति को देखते हुए सरकार के अंदर भी एक उहापोह की स्थिति बनी हुई थी कि इस मसले पर पुनः विचार किया जाए। चूंकि नियमावली बन गई थी तो शिक्षकों को तबादले के लिए आवेदन देने के लिए कहा गया। लेकिन सिर्फ चार दिन शेष रहने के बावजूद 20 हजार शिक्षकों ने ही तबादले का आवेदन दिया।
नीतीश ने भरी हामी ! तो पूर्व शिक्षा मंत्री ने संभाली कमान
सूत्रों की मानें तो शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर हाईकोर्ट के स्टे की खबर जैसे ही बाहर निकल कर आई तो नीतीश कैबिनेट के कुछ प्रमुख नेता सक्रिय हो गए। बताया जा रहा है कि एक कद्दावर नेता व पूर्व शिक्षा मंत्री ने इस पर एक्शन लेना शुरू किया। चूंकि मसला काफी बड़ा था। सूत्र बताते हैं कि इस खबर को साहेब के कान तक पहुंचा दिया गया। फिर उधर से जो आदेश आया उसका असर तेजी से शिक्षा विभाग पर दिखने लगा। पूर्व शिक्षा मंत्री ने फोन पर ही कमान संभाला और आदेश देना शुरु किया। हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर पर शिक्षक संघों और बाकी शिक्षा से जुड़े विधान पार्षदों के सक्रिय होने से पहले यह आदेश दिया गया कि जल्द से जल्द शिक्षा मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बातों को क्लियर करें। ताकि अन्य लोग इसका फायदा ना उठा पाएं। मतलब साफ था कि सरकार यह संदेश देना चाहती थी कि सरकार शिक्षकों के हित के खिलाफ नहीं है और फिर हाईकोर्ट के बहाने इस नीति को ठंडे बस्ते में डालने की कवायद शुरु हो गई।
शिक्षा मंत्री का आनन-फानन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करना
अब भला देखिए कि शिक्षा मंत्री के द्वारा आनन-फानन में कहा क्या जा रहा है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग ने भी हाईकोर्ट के आदेश के बाद शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा रहा है। शिक्षा मंत्री ने ये भी कहा कि, हमलोगों ने काफी सोच विचार कर इस नीति को लगाया था। यह पॉलिसी उदार भी हैं लेकिन इस नीति को लेकर शिक्षकों के मन में काफी बातें हैं रिजर्वेशन को लेकर तो उनपर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए..अधिकारियों और सीएम नीतीश से विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि ट्रांसफर नीति को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखेंगे।
ट्रांसफर-पोस्टिंग हमेशा के लिए ठंडे बस्ते में
हाईकोर्ट के बहाने बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के मंत्री ने तो कह दिया कि ट्रांसफर नीति को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। लेकिन सवाल तो यह है कि क्या इस नीति में नयापन लाकर सरकार जल्द ही इसपर काम करेगी। ऐसा नहीं है। सरकार के मुखिया की तरफ से स्पष्ट कह दिया गया है कि इस नीति को हमेशा के लिए तो नहीं लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव तक इसमें कोई छेड़छाड़ ना किया जाए। सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देकर फिलहाल उन्हें वर्तमान स्कूल में ही बने रहने दिया जाए। मतलब साफ है 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव का ग्रहण इस नियमावली को लग चुका है। फिलहाल शिक्षकों के लिए यह राहत भरी खबर है।