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Governar Rajendra Vishwanath Arlekar: के के पाठक से भिड़ने से लेकर लिए ऊंच शिक्षा को लेकर कई सख्त फैसले,विवाद सुलझाने के लिए CM को खुद करनी पड़ी पहल

बिहार के पूर्व राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने 22 महीने का कार्यकाल में उच्च शिक्षा से संबंधित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जबकि विवादों से भी उनका संबंध बना रहा।सीनेट में पहुंचने वाले पहले राज्यपाल बने।

Rajendra Vishwanath Arlekar
अर्लेकर के सख्त फैसले- फोटो : hiresh Kumar

Governar Rajendra Vishwanath Arlekar: राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का कार्यकाल बिहार के राज्यपाल के रूप में 22 महीनों तक चला, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए और विवादों में भी रहे। उनका कार्यकाल विशेष रूप से शिक्षा विभाग के सचिव केके पाठक के साथ टकराव के कारण चर्चा में रहा।उनका कार्यकाल फरवरी 2023 में शुरू हुआ और हाल ही में समाप्त हुआ।

पहले राज्यपाल जो विश्वविद्यालय की सीनेट में पहुंचे

आर्लेकर ने पटना विश्वविद्यालय की सीनेट की बैठक में भाग लेकर एक नई परंपरा की शुरुआत की। वह पहले राज्यपाल बने जिन्होंने विश्वविद्यालय की सीनेट बैठक में व्यक्तिगत रूप से भाग लिया। आर्लेकर ने सीनेट बैठक में शामिल होकर न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, बल्कि विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक कामकाज को समझने और सुधारने का प्रयास किया। यह कदम अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल बन गया है कि कैसे राज्यपाल सीधे विश्वविद्यालयों से संवाद स्थापित कर सकते हैं।उनकी उपस्थिति ने न केवल सीनेट की गरिमा बढ़ाई बल्कि छात्रों और शिक्षण समुदाय से भी प्रशंसा प्राप्त की।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के साथ टकराव

उनका कार्यकाल उस समय सुर्खियों में आया जब उन्होंने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा जारी किए गए निर्देशों पर आपत्ति जताई। जब केके पाठक को शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया, तो उन्होंने एक आदेश जारी किया कि सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति और उप कुलपति विभाग की बैठक में अनिवार्य रूप से शामिल होंगे। इस आदेश पर आर्लेकर ने तीखी प्रतिक्रिया दी, यह कहते हुए कि यह निर्देश उनके अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उच्च शिक्षा की बैठक पर निर्णय लेने का अधिकार केवल राज्यपाल का है।इस मामले को सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना पड़ा।

केके पाठक के फरमान पर आपत्ति

केके पाठक के विवाद ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने पाठक को हटाने का निर्णय लिया।

नए राज्यपाल की नियुक्ति

आज आरिफ मोहम्मद खान बिहार के नए राज्यपाल के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। आर्लेकर को अब केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।

बहरहाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का कार्यकाल बड़े फैसलों और विवादों से भरा रहा, जिसमें शिक्षा क्षेत्र में उनकी सक्रियता प्रमुख रही। उनके द्वारा उठाए गए कदमों ने न केवल उन्हें सुर्खियों में रखा बल्कि बिहार की राजनीति पर इसका दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।


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