Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को बड़ा झटका लगा है। राजद के बड़े नेता और पूर्व एमएलसी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी से इस्तीफा देते हुए उन्होंने राजद पर कई आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने चिठ्ठी लिखकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि राजद में अब लालू यादव के सिद्धातों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
राजद का कमान कमजोर
आजाद गांधी ने राजद सुप्रीमो लालू यादव को चिठ्ठी लिखते हुए कहा कि, मैं, आजाद गांधी, जो अतिपिछड़ा वर्ग से नाई जाति समाज का एक बेटा हूं, पिछले 35 वर्षों से राष्ट्रीय जनता दल में एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत हूं। आपके नेतृत्व में एक बार विधान पार्षद का चुनाव जीतकर पार्टी के मूल्यों और सिद्धांतों को विधान परिषद में उठाने का प्रयास किया। लेकिन आपकी कमान कमजोर पड़ते ही पार्टी में अतिपिछड़ा वर्ग की लगातार उपेक्षा शुरू हो गई। ना तो सांगठनिक स्तर पर और ना ही महागठबंधन सरकार में अतिपिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं को उचित हिस्सेदारी दी गई। पार्टी ने लोकसभा,राज्यसभा और विधान परिषद में भी अतिपिछड़ों की आबादी के अनुपात में भागीदारी सुनिश्चित नहीं की।
कर्पूरी ठाकुर और लालू प्रसाद के सिद्धांतों को किया जा रहा नजरअंदाज
पार्टी के संस्थापक कर्पूरी ठाकुर और लालू प्रसाद के सिद्धांतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। आज पार्टी में समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं को हाशिए पर धकेल दिया गया है। पार्टी की कमान अब आपके और तेजस्वी जी के हाथों में नहीं, बल्कि हरियाणा और दिल्ली के लोगों के हाथों में सिमट गई है। पुराने कार्यकर्ताओं को या तो पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है या निष्कासन की धमकी दी जा रही है। पार्टी कार्यालय से लेकर 10 सर्कुलर रोड तक स्थिति ऐसी हो गई है कि कार्यकर्ताओं का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है।
पार्टी का कमान हरियाणा और दिल्ली के लोगों के हाथ
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी जी से मिलने के लिए कार्यकर्ता घंटों इंतजार करते हैं, लेकिन उन्हें निराश लौटना पड़ता है। तेजस्वी जी के आसपास ऐसे लोग हैं, जिनका बिहार के जमीनी मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष द्वारा दलित और अतिपिछड़ा समाज के कार्यकर्ताओं का अपमान किया जाता है। जिसके कारण पार्टी कार्यालय से कार्यकर्ताओं ने दूरी बना ली है। ऐसा लगता है कि पार्टी अब अपने मूल सामाजिक न्याय के रास्ते से भटक चुकी है।
पार्टी में महसूस हो रही घुटन
उन्होंने लिखा कि मैंने कई बार आपसे और तेजस्वी जी से इस संबंध में बात करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अतिपिछड़ा वर्ग के मुद्दों को सुनने वाला कोई नहीं है। आपकी गलत नीतियों और परिवारवाद के बढ़ते प्रभाव ने पार्टी को चुनावी हार तक पहुंचा दिया है। समर्पित कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और पार्टी अब आंदोलन के रास्ते से हटकर केवल औपचारिक राजनीति तक सीमित हो गई है। इन परिस्थितियों में, मैं पार्टी में घुटन महसूस कर रहा हूं। अतः, मैं राष्ट्रीय जनता दल के सभी पदों और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।