PATNA - झारखंड विधानसभा को नेता प्रतिपक्ष कब मिलेगा ?, बीजेपी वाले इतना क्या जांच-परख रहे हैं कि अभी तक नाम का ऐलान नहीं किया गया है. सियासी गलियारें में नाम तो 2-3 चल रहे हैं. लेकिन बात बीजेपी की हो, तो सूत्र काम नहीं करते, हां गणित फिट बैठ रहा हो तो बात बन सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने टाइम 2 हफ्ते का दिया था जिसमें 1 हफ्ता तो बीत गया. वक्त गुजर रहा है जेएमएम और कांग्रेस मजे ले रही है और बीजेपी अभी तक नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान नहीं कर पा रही है. दिक्कत कहां आ रही है. आगे विस्तार से पढ़िए
बाबू लाल मंराडी का विकल्प कौन
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 जीतने के बाद हेमंत सोरेन चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं. झारखंड विधानसभा में पार्टियां वाइज संख्या देखें तो जेएमएम-34, बीजेपी-21, कांग्रेस-16, आरेजडी-4, सीपीआईएमएल-2 और जेडीयू, एलजेपीआर, आजसू, जेएलकेएम को 1-1 सीट है. बीजेपी को नेता प्रतिपक्ष अपने 21 विधायकों में से एक विधायक को बनाना है. ऐसा लग रहा है कि बीजेपी की दो प्राथमिकता है. पहली प्राथमिकता ये हो सकती है कि बीजेपी नेता प्रतिपक्ष ऐसे विधायक को बनाना चाहती है जो भविष्य का नेता बन सके. अगर ऐसा ना होता तो बाबू लाल मरांडी सबसे सटिक नाम हैं और उनके नाम के एलान में देरी क्यों होती. अगर देरी हो रही है तो बात बड़ी है.
महिला विधायक को मिल सकता है मौका
झारखंड में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर बीजेपी की दूसरी प्राथमिकता ये भी हो सकती है कि दांव महिला पर खेलना है. बीजेपी के पास अपने 21 विधायकों में से 4 महिला विधायक है. कोडरमा से नीरा यादव, जमुआ से डॉ मंजू कुमारी, झरिया से रागिनी सिंह और जमशेदपुर ईस्ट से पूर्णिमा साहू. पूर्णिमा साहू का नाम सबसे पहले ही कटा हुआ है. क्योंकि रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू हैं. अगर रघवर दास झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बन रहे हैं. तो उनकी बहू नेता प्रतिपक्ष बनेगी ?, ये समीकरण के खांचे में फिट नहीं बैठ रहा है.
नीरा यादव का नाम आगे
बीजेपी के लिए सबसे सटीक महिला+आदिवासी का नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए सबसे फिट है. पर महिला + आदिवासी विधायक बीजेपी के पास झारखंड में नहीं है. सो क्या बीजेपी महिला+ओबीसी पर दांव खेलेगी ?, अगर ऐसा है तो फिर नीरा यादव सबसे सटिक नाम लग रहा है. क्योंकि राजनीतिक के फलक कल्पना सोरेन चमक रही है. उनकी काट के तौर पर नीरा यादव बीजेपी के लिए साबित हो सकती है. नीरा यादव प्रखर रूप से बोलती है, तीसरी बार कोडरमा से विधायक बनी है. 2014 में राज्य की शिक्षा मंत्री भी बनी थी. राजनीति में आने से पहले नीरा यादव महिला कॉलेज में बतौर प्रोफेसर कार्यरत थी.
रघुवर दास की क्या होगी भूमिका
बीते झारखंड विधानसभा विधानसभा चुनाव से आदिवासी और मुस्लिम इंडिया गठबंधन के लिए इनटाइक दिखे. सो बीजेपी अब पूरे ओबीसी को एकजुट करने का प्रयास करेगी. यही वजह है कि रघुवर दास को रिटर्न बुलाया गया है और अगर नीरा यादव को बीजेपी नेता प्रतिपक्ष बनाती है, तो लाइन क्लीयर है. झारखंड में आगे की सियासत एनडीए कैसे करेगी. बहरहाल जो भी हो. झारखंड में बीजेपी नेता प्रति पक्ष के नाम का एलान एक हफ्ते के अंदर कर देगी. झारखंड में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने कई काम रूके पड़े हैं.
पटना से देबांशु प्रभात की रिपोर्ट