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Bihar News : नीतीश के पुराने साथी को क्यों बनाया बिहार का राज्यपाल, विधानसभा चुनाव के पहले आरिफ मोहम्मद खान कैसे करेंगे जदयू से सेटिंग, पढिये इनसाइड स्टोरी

बिहार विधानसभा चुनाव के करीब 10 महीने पहले आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया जाना सियासी तौर पर भाजपा की एक अहम रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. नीतीश कुमार के साथ ही मुसलमान को भी साधने की कोशिश है.

 Arif Mohammad Khan
Arif Mohammad Khan Governor of Bihar- फोटो : news4nation

Bihar News : आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का राज्यपाल बनाया गया है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के करीब दस महीने पहले अचानक से बिहार के राज्यपाल नियुक्त किए गए आरिफ मोहम्मद खान की नियुक्ति सियासी तौर पर काफी अहम मानी जा रही है. इसमें एक ओर भाजपा और जदयू के रिश्तों में हालिया दिनों में आई दूरी की खबरों को पाटना भी शामिल है और नीतीश कुमार सहित मुसलमानों पर मजबूत पकड़ बनाने की भाजपा की कवायद भी मानी जारी है. 


आरिफ मोहम्मद खान और नीतीश कुमार दोनों ही पुराने सहयोगी रहे हैं. दोनों ने एक साथ केंद्र सरकार में मंत्री के तौर पर काम किया है. वहीं मुसलमानों के मुद्दे पर भी उनकी अलग किस्म की पहचान रही है. ऐसे में बिहार में विधानसभा चुनावों के पहले उनकी राज्यपाल के रूप में नियुक्ति भी काफी अहम है. 


आरिफ मोहम्मद खान की सियासी यात्रा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष बनने से हुई. 1977 में उनका बुलंदशहर के सियाना विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने और यूपी सरकार में मंत्री बनना बेहद अहम  रहा. वहीं बाद में वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और 1980 में कानपुर और 1984 में बहराइच से लोकसभा के लिए चुने गए. 1986 में, उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बिल के पारित होने पर मतभेदों के कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छोड़ दी, जिसे राजीव गांधी ने लोकसभा में पेश किया था. बाद में आरिफ मोहम्मद खान जनता दल में शामिल हो गए और 1989 में फिर से लोकसभा के लिए चुने गए. जनता दल के शासन के दौरान खान ने नागरिक उड्डयन और ऊर्जा मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया.इसी दौरान नीतीश कुमार भी केंद्र में पहली बार मंत्री बने. तब दोनों ने एक ही सरकार के लिए मंत्री के रूप में काम किया. ऐसे में दोनों के बीच अहम मुलाकात और याराना का दौर 1989 में शुरू हुआ. सूत्रों का कहना है कि अब 35 वर्ष पुराने इस यारियां को बिहार में भुनाने में केंद्र की मोदी सरकार लग गई है. 


कई दलों से बिठाया सामंजस्य 

आरिफ मोहम्मद खान कांग्रेस, जनता दल, बसपा से होते हुए वर्ष 2004 में वह भाजपा में शामिल हो गए. यानी वे सभी दलों के साथ बेहतर सामंजस्य बिठाने में सफल रहे हैं. उनके इस सियासी कौशल को ही अब सम्भवतः भाजपा भुनाना चाहती है. उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. हाल के समय में जदयू और भाजपा नेताओं के बीच दूरी बढ़ने की बातें आई. ऐसे में अब आरिफ के सहारे नीतीश कुमार से रिश्तों को और ज्यादा मजबूती देने की कोशिश होगी. 


मुसलमानों को बड़ा संदेश 

आरिफ मोहम्मद खान की पहचान प्रगतिशील मुसलमान की रही है. चाहे राजीव मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना हो या हिजाब विवाद या फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बंटोगे तो कटोगे’ वाले बयान का समर्थन करना. माना जा रहा है कि मुसलमान समुदाय के बीच भी एक संदेश देने की कोशिश है कि उनके हितों के लिए एक प्रोग्रेसिव विचार वाला राज्यपाल लाया गया है. 


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