Bihar education department: बिहार में शिक्षा विभाग का गजब खेल! मुर्दो और कैदी टीचरों को ऑनलाइन हाजिरी बनाने भेजा जा रहा नोटिस, पूरा मामला जान माथा पकड़ लेंगे आप
बिहार के पूर्णिया जिले में शिक्षा विभाग ने मृत और जेल में बंद शिक्षकों को हाजिरी के लिए नोटिस जारी किया। इस घटना ने शिक्षा विभाग की मॉनिटरिंग और लापरवाही पर सवाल खड़े किए हैं।

Bihar Purnia education department: बिहार के पूर्णिया जिले में शिक्षा विभाग एक बार फिर से लापरवाही के चलते चर्चा में आ गया है। इस बार विभाग ने ई-शिक्षा कोष एप पर हाजिरी नहीं बनाने के कारण तीन शिक्षकों को नोटिस जारी किया है। इस मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब यह पता चला कि जिन तीन शिक्षकों को नोटिस भेजा गया है, उनमें से दो की मौत हो चुकी है, जबकि तीसरा शिक्षक हत्या के आरोप में जेल की सजा काट रहा है।
यह घटना शिक्षा विभाग की मॉनिटरिंग और उसकी व्यवस्था में बड़ी खामियों की ओर इशारा करती है। विभाग के पास शिक्षकों की अद्यतन जानकारी न होने के कारण ऐसे शिक्षकों को भी नोटिस जारी कर दिया गया है जो इस दुनिया में नहीं हैं या जेल में बंद हैं।
मृत शिक्षकों को भेजा गया नोटिस
इस लापरवाही में जिन तीन शिक्षकों को नोटिस भेजा गया है, उनमें से दो शिक्षकों की मौत पहले ही हो चुकी है।
अखिलेश मंडल (प्राथमिक विद्यालय गछकट्टा): अखिलेश मंडल का 1 दिसंबर 2024 को निधन हो गया था, लेकिन उन्हें 18 मार्च 2025 से अनुपस्थित होने के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया है।
सुशील ठाकुर (मध्य विद्यालय विष्णुपुर): सुशील ठाकुर का आकस्मिक निधन 11 नवंबर 2024 को हुआ था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें भी कारण बताओ नोटिस भेजा गया है।
यह घटना स्पष्ट रूप से दिखाती है कि शिक्षा विभाग की मॉनिटरिंग प्रणाली में कितनी बड़ी खामियां हैं, जहां मृत शिक्षकों की भी हाजिरी दर्ज नहीं होने पर नोटिस भेजा जा रहा है।
जेल में बंद शिक्षक को भी भेजा गया नोटिस
तीसरा मामला और भी गंभीर है। लक्ष्मी बेसरा, जो कि मध्य विद्यालय धमदाहा हाट के शिक्षक हैं, पिछले पांच साल से पटना की जेल में सजा काट रहे हैं। उन्हें 2019 में एक हत्या के मामले में दोषी पाया गया था। बावजूद इसके, उन्हें भी हाजिरी नहीं लगाने पर नोटिस जारी किया गया है।इससे शिक्षा विभाग की लापरवाही और अनियमितता साफ नजर आती है, जहां जेल में बंद व्यक्ति को भी उपस्थित नहीं होने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
शिक्षा विभाग की मॉनिटरिंग व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने शिक्षा विभाग की मॉनिटरिंग व्यवस्था की पोल खोल दी है। यह सवाल उठता है कि कैसे रोजाना होने वाली समीक्षा बैठकों और मॉनिटरिंग के बावजूद इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं।स्थानीय शिक्षकों ने भी इस घटना पर गुस्सा जताया है और कहा है कि विभाग में अधिकारियों का रवैया लापरवाही भरा है। सही जानकारी और रिपोर्टिंग की कमी के कारण मृत और जेल में बंद शिक्षकों को नोटिस भेजे जा रहे हैं, जो शिक्षा विभाग की गंभीर खामियों की ओर इशारा करता है।
शिक्षा विभाग की सफाई
जब इस मामले पर शिक्षा पदाधिकारी प्रफुल्ल कुमार मिश्र से सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि संबंधित विद्यालयों के प्रधानों द्वारा विभाग को समय पर सही जानकारी नहीं दी गई, जिसकी वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई। हालांकि, स्थानीय शिक्षकों का कहना है कि मृत और जेल में बंद शिक्षकों की जानकारी पहले ही दी जा चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद ई-शिक्षा कोष एप से उनका नाम नहीं हटाया गया। यह घटना शिक्षा विभाग की मॉनिटरिंग प्रणाली और उसके अद्यतन रिकॉर्ड्स की लापरवाही को उजागर करती है, और इसे सुधारने की सख्त आवश्यकता है।