Bihar university News - विश्वविद्यालय के गेट पर एबीवीपी ने शुरू किया सद्बुद्धि यज्ञ, जानें क्या है पूरा मामला
Bihar university News - विश्वविद्यालय प्रबंधन की मनमानी के विरोध में आज एबीवीपी ने सद्बुद्धि यज्ञ किया। छात्र संगठन ने यूनिवर्सिटी वीसी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

Purnia - पूर्णिया में ABVP के छात्र पूर्णिया विश्वविद्यालय मुख्य द्वार पर सद्बुद्धि यज्ञ पर बैठे हैं। यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक भवन में सीनेट की अहम बैठक चल रही है, तो दूसरी तरफ ABVP के छात्र काली पट्टी लगाकर सद्बुद्धि यज्ञ कर रहे हैं। PET 2023 में नामांकन और PET 2024 फॉर्म अप्लाई किए जाने की मांग को लेकर छात्रों का यज्ञ जारी है।ABVP के दर्जनों छात्र सद्बुद्धि यज्ञ में शामिल हैं।
छात्रों ने मंत्रोचारण के साथ विश्वविद्यालय के कुपलति विवेकानंद सिंह की तस्वीर को हवन कुंड में समर्पित किया। ईश्वर से कुलपति के सद्बुद्धि की प्रार्थना की। सद्बुद्धि यज्ञ का नेतृत्व कर रहे ABVP के सह संयोजक राजा कुमार ने कहा कि कुलपति की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। छात्र अगर कोई भी मुद्दा कुलपति के पास लेकर जाते हैं, तो कुलपति उन्हें धमकाते हैं। छात्रों की आवाजों को दबाने का काम करते हैं। कुलपति ने बीते दिनों उनके भूख हड़ताल के दौरान कहा था, कि 10 दिन में पीएचडी 2023 का एडमिशन और 15 दिन में पीएचडी 2024 के लिए अप्लाई की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
छात्रों से गलत व्यवहार करते हैं कुलपति
मगर कुलपति की याददाश्त कमजोर हो जाने की वजह से वे बोलकर भूल जाते हैं। कोई उनके पास अपनी बात रखने पहुंचता है तो वे उनके साथ बदसलूकी करते हैं। कल एक छात्रा अपनी बात रखने गई, तो कुलपति ने इसके साथ दुर्व्यवहार किया और बाद में माफी मांगी। इन्हीं सब कारणों से ABVP छात्रों के साथ मिलकर कुलपति के लिए सद्बुद्धि यज्ञ कर रहा है, ताकि भगवान कुलपति को बुद्धि दें और स्टेट यूनिवर्सिटी अच्छे से चल सके।
वीसी पर लगे यह आरोप
उनकी मांग है कि PET 2023 में चयनित स्टूडेंट का नामांकन हो और 2024 के लिए अप्लाई की प्रक्रिया शुरू की जाए। वे कहते हैं कि फैसला राजभवन करेगा। पुनर्मूल्यांकन का फैसला किसका है। कुलपति ने खुद फैसला लेकर कॉपी का पुनर्मूल्यांकन किया और फिर रिजल्ट जारी की दी। इसमें चयनित अधिकांश कैंडिडेट वीसी के अपने लोग हैं। इन्हीं मांगों को लेकर वे काला बिल्ला लगाकर कुलपति का विरोध कर रहे हैं। कुलपति विश्वविद्यालय के लिए ग्रहण की तरह हैं, इन्हें राजभवन वापस ले और एक नई कुलपति की नियुक्ति हो।