Heart Attack:कसरत बनी जानलेवा, 14 साल के बच्चे को जिमिंग के बीच आया हार्ट अटैक, मौके पर मौत
Heart Attack:कसरत करते मासूम की मौत ने फिर साबित कर दिया कि ज़िंदगी की डोर कितनी नाजुक है। अंकुश की मुस्कुराती तस्वीरें अब सिर्फ स्मृतियों में बची हैं और उसके आंगन की चहक हमेशा के लिए खामोश हो गई है।

Heart Attack: एक ऐसी खबर, जिसने हर दिल को झकझोर दिया। मौत के सामने उम्र की कोई सीमा नहीं होती, यह सच एक बार फिर साबित हुआ।सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर के सैनीटोला में महज 14 साल का अंकुश कुमार अपनी मासूम कसरत के बीच अचानक ज़िंदगी की जंग हार गया।
वार्ड नंबर 28 का वह घर, जहां सुबह तक हंसी और ऊर्जा की गूंज थी, देखते ही देखते मातम में बदल गया। पिता उत्तम लाल यादव का सपना था कि उनका बड़ा बेटा पढ़ाई और स्वास्थ्य दोनों में आगे बढ़े। लेकिन उसी स्वास्थ्य के लिए किए गए पुश-अप्स ने मौत का फरमान सुनाया। छज्जे से लटककर मेहनत करते हुए अचानक अंकुश के कंधे में दर्द उठा और देखते ही देखते उसकी सांसें थम गईं।
परिजन घबराकर उसे अनुमंडलीय अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया, लेकिन मौत मानो पहले से ही तय होकर आई थी। कुछ ही पलों में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उस पल अस्पताल का माहौल चीखों और सन्नाटे के बीच गूंज उठा।
सिर्फ परिवार ही नहीं, पूरा मोहल्ला स्तब्ध रह गया। मां संतोषी देवी का कलेजा चीख-चीखकर रो पड़ा। दो भाइयों में सबसे बड़े अंकुश का यूं अचानक चले जाना उनके लिए असहनीय है। घर के कोने-कोने में अब सिर्फ उसकी यादें और अधूरे सपने तैर रहे हैं।
खबर फैलते ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे। सांसद प्रतिनिधि रितेश रंजन और विधायक युसूफ सलाउद्दीन ने परिजनों को सांत्वना दी, मगर किसे पता कि सांत्वना भी इस अपार दुख को कितना कम कर पाएगी।प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी आशीष कुमार ने बताया कि जब अंकुश को लाया गया, उसकी हालत अत्यंत गंभीर थी। चिकित्सकीय प्रयास नाकाम रहे और जीवन की डोर टूट गई।
यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए चेतावनी भी है। आजकल कम उम्र में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। जिस उम्र में बच्चे खेलों, पढ़ाई और सपनों में मशगूल रहते हैं, उसी उम्र में हृदयाघात का शिकार होना कहीं न कहीं हमारी जीवनशैली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।