Bihar News: मौत के पंजे से छूकर लौटी ज़िंदगी, स्टेशन पर हुआ ये चमत्कार, देख कर लोगों की रूह कांप गई

Bihar News: एक शख्स ने जान देने की ठानी, लेकिन मौत भी उसे अपनाने से पहले लौट गई। यह वाकया एक बार फिर साबित कर गया ज़िंदगी अगर मेहरबान हो, तो मौत का शिकंजा भी ढीला पड़ जाता है।...

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मौत का शिकंजा पड़ा ढ़ीला- फोटो : reporter

Bihar News:जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय  यह महज एक कहावत नहीं, बल्कि कभी-कभी ज़िंदगी का नगमा बनकर हकीकत के मंच पर गूंज उठती है। बीती रविवार की रात, बिहार के शेखपुरा रेलवे स्टेशन पर, प्लेटफॉर्म नंबर 1 ने एक ऐसा मंज़र देखा, जिसे देखने वालों की सांसें थम गईं और दिलों की धड़कनें बेइंतहा तेज़ हो गईं।

समय था करीब साढ़े दस बजे का। किउल-गया पैसेंजर ट्रेन धीरे-धीरे प्लेटफॉर्म पर दाखिल हो रही थी कि तभी, भीड़ के बीच से एक 23 बरस का नौजवान अचानक पटरियों की ओर लपका और सीधे ट्रेन के सामने कूद पड़ा। एक पल को लगा कि अब उसके जिस्म का नाम-ओ-निशान भी बचना मुश्किल है। हवा में सनसनी और प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी, मानो मौत ने सबको अपनी सर्द आहट महसूस करा दी हो।

मगर किस्मत भी अजीब मिज़ाज रखती है। कभी-कभी वो मौत से आंख मिलाकर कह देती है  “आज नहीं।” हुआ यूं कि ट्रेन के पहले झटके से युवक पटरियों के बीच बने उस छोटे से गैप में जा गिरा, जो अक्सर लोगों की नज़र से ओझल रहता है। लोहा गरजा, पहिए चीखे, लेकिन ज़िंदगी ने मौत को मात दे दी। भीड़ के बीच से निकली एक राहत की सांस, और आंखों में ताज्जुब का आलम।

ट्रेन के गुजरने तक युवक पटरियों पर चुपचाप लेटा रहा, जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उसे वहीं थाम लिया हो। जीआरपी के जवान पहुंचे, उसे उठाकर अस्पताल ले गए। सिर पर गहरी चोटें थीं, जिस्म पर जख्म, लेकिन डॉक्टरों ने साफ कहा  “जान को अब ख़तरा नहीं।”

जीआरपी थानाध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ने बताया कि युवक खुद को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत का रहने वाला बता रहा है, मगर उसकी पूरी पहचान अब तक राज़ है। गवाहों का कहना है कि वह काफी देर से प्लेटफॉर्म पर खामोश बैठा था, फिर अचानक उठा और कूद गया। पुलिस का अंदेशा है कि शायद वह मानसिक तनाव या विक्षिप्तता का शिकार है।

जिस प्लेटफॉर्म पर लोग ट्रेन के छूटने से परेशान होते हैं, वहीं एक शख्स ने जान देने की ठानी, लेकिन मौत भी उसे अपनाने से पहले लौट गई। यह वाकया एक बार फिर साबित कर गया  ज़िंदगी अगर मेहरबान हो, तो मौत का शिकंजा भी ढीला पड़ जाता है।

एक शख्स ने जान देने की ठानी, लेकिन मौत भी उसे अपनाने से पहले लौट गई। यह वाकया एक बार फिर साबित कर गया  ज़िंदगी अगर मेहरबान हो, तो मौत का शिकंजा भी ढीला पड़ जाता है।शेखपुरा की उस रात ने बता दिया कि  जिसको मालिक बचाना चाहे, उसके सामने मौत भी हाथ जोड़कर खड़ी हो जाती है।

रिपोर्टर- उमेश कुमार