Janeyu for Woman: महिलाएं भी संन्यास ग्रहण करती हैं और आध्यात्मिक जीवन जीती हैं। महिला संन्यासियों का जीवन पुरुष संन्यासियों के जीवन से कई मायनों में मिलता-जुलता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी हैं।
जनेऊ और पंच दीक्षा
महिला संन्यासी भी पुरुषों की तरह जनेऊ पहनती हैं, लेकिन वे इसे रुद्राक्ष के साथ अपने गले में धारण करती हैं। जनेऊ का संस्कार पुरुषों के लिए उतना महत्वपूर्ण नहीं होता जितना कि पुरुषों के लिए। संन्यास की दीक्षा के दौरान, उन्हें पांच गुरुओं में से कोई एक गुरु जनेऊ प्रदान करता है।
परिवार और रिश्तेदार
पुरुष संन्यासियों को अपने परिवार और रिश्तेदारों से दूर रहना होता है, लेकिन महिला संन्यासियों के लिए ऐसा कोई कठोर नियम नहीं है। हालांकि, उन्हें अपने आध्यात्मिक जीवन पर ध्यान केंद्रित करना होता है।
संन्यास लेने की प्रक्रिया
महिलाओं के लिए संन्यास लेना एक आसान काम नहीं है। श्री सन्यासिनी दशनामी जूना अखाड़ा की अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत आराधना गिरि के अनुसार, संन्यास लेने की इच्छा रखने वाली महिलाओं को विस्तृत काउंसिलिंग दी जाती है। उन्हें संन्यास जीवन की कठिनाइयों और जिम्मेदारियों के बारे में बताया जाता है। अखाड़े के पदाधिकारी पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही उन्हें पंच दीक्षा दी जाती है।
पंच दीक्षा और दीक्षा समारोह
पंच दीक्षा में, महिला संन्यासी को पांच गुरु अलग-अलग वस्तुएं देते हैं: चोटी, गेरूआ वस्त्र, रुद्राक्ष, भभूत और जनेऊ। ये वस्तुएं उन्हें संन्यासी जीवन के लिए तैयार करती हैं। दीक्षा समारोह में, उन्हें विभिन्न मंत्रों का जाप करना होता है और गंगा में स्नान करना होता है।
महिला संन्यासियों का जीवन
महिला संन्यासियों को अपनी पांच इंद्रियों पर नियंत्रण रखना होता है और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना होता है। वे समाज सेवा में भी सक्रिय रूप से भाग लेती हैं। महिला संन्यासी भी पुरुष संन्यासियों की तरह आध्यात्मिक जीवन जीती हैं। हालांकि, उनके जीवन में कुछ विशिष्ट चुनौतियां और जिम्मेदारियां होती हैं। संन्यास लेने की प्रक्रिया काफी कठिन होती है, लेकिन जो महिलाएं इस मार्ग को चुनती हैं, वे आध्यात्मिक रूप से बहुत विकसित होती हैं।सनातन धर्म में महाकुंभ का बहुत अधिक महत्व होता है. प्रयागराज में महाकुंभ लगने वाला है. इस साल 13 जनवरी 2025 से लेकर 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा. जिसमें साधु-संतों का आगमन होगा.