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13 अक्टूबर को है पापांकुशा एकादशी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पारण समय

13 अक्टूबर को है पापांकुशा एकादशी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पारण समय

हर महीने एकादशी तिथि आती है, जिसपर कई लोग व्रत रखते हैं। इस बार यह 13 अक्टूबर को रखा जाएगा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करने से व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही विष्णु भगवान की कृपा मिलती है तो चलिए इस दिन की व्रत कथा का पाठ करते हैं, जिसके प्रताप से कल्याण की प्राप्ति हो सके।


पापांकुशा एकादशी का व्रत रविवार को गृहस्थ जनों के लिए है। इस दिन अश्विन शुक्ल दशमी तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र, शूल योग, गर करण, पश्चिम का दिशाशूल और मकर राशि में चंद्रमा है। एकादशी तिथि सुबह 9:08 बजे के बाद से शुरू है। पापांकुशा एकादशी को रवि योग बना है, जो सुबह 06:21 बजे से प्रारंभ है। एकादशी के दिन भद्रा का साया शाम से है, वहीं पंचक का प्रारंभ भी शाम से हो रहा है। यह रोग पंचक है क्योंकि रविवार से इसकी शुरूआत हो रही है। इसमें रोग और कष्ट बढ़ने की आशंका रहती है। 


इस बार पापांकुशा एकादशी का व्रत दो दिन है, रविवार को गृहस्थ के लिए और सोमवार को साधु संन्यासी के लिए है। गृहस्थ पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण सोमवार को दोपहर 1:16 बजे के बाद कर सकते हैं। इस बार हरि वासर का समापन सोमवार को दिन में 11:56 बजे होगा। इस वजह से एकादशी व्रत दो दिन का हो गया है। वहीं, इस दिन जो लोग उपवास रखते हैं, उन्हें एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, क्योंकि इसके बिना पूजा पूरी नहीं होती है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।


एकादशी तिथि का आरंभ - 13 अक्टूबर, प्रातः 09:08 मिनट

एकादशी तिथि का समापन - 14 अक्टूबर, प्रातः 06:41 मिनट

विष्णु पूजा मुहूर्त - सुबह 07.47 - दोपहर 12.07

व्रत पारण समय - 14 अक्टूबर, दोपहर 01.16 - दोपहर 03.34

वैष्णव समाज के लोग 14 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखेंगे।


एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें। भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर को साफ करें। एक वेदी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान का पंचामृत से स्नान करवाएं। पीले फूलों की माला अर्पित करें। हल्दी या फिर गोपी चंदन का तिलक लगाएं। पंजीरी और पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं। विष्णु जी का ध्यान करें। पूजा में तुलसी पत्र शामिल करना न भूलें। साथ ही इन मंत्रों का जाप करें। ॐ नमोः नारायणाय नमः, ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः, ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥ ॐ विष्णवे नम:

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