Bihar Govt Teacher: बिहार के सरकारी शिक्षकों को लाख समझाने पर भी कानों पर नहीं रेंग रहा जू! ई-शिक्षा कोष ऐप से हाजिरी के नाम पर घोटाला, 8 शिक्षकों पर गिरी गाज

Bihar Govt Teacher: बिहार के पिपरा प्रखंड के एक विद्यालय में आठ शिक्षकों द्वारा ई-शिक्षा कोष ऐप पर मनमाने ढंग से ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करने का मामला सामने आया है। जानें क्या है पूरा मामला और क्या होगी कार्रवाई।

Bihar Govt Teacher:
बिहार के सरकारी टीचरों की मनमानी- फोटो : social media

Bihar Govt Teacher: बिहार सरकार की तरफ से सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए ई-शिक्षा कोष ऐप से ऑनलाइन सेल्फी हाजिरी की व्यवस्था की गई है। इसका उद्देश्य पारदर्शिता और नियमितता लाना था, लेकिन पिपरा प्रखंड के प्रोजेक्ट कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय में इस तकनीक को ही मज़ाक बना दिया गया।

एक जैसी फोटो, एक जैसी पोशाक

एक शिक्षक ने 22 दिनों तक एक ही पोशाक और स्थान पर खड़े होकर हाजिरी दर्ज की, जिससे पता चलता है कि फोटो या तो एक बार लिया गया और बार-बार अपलोड किया गया, या फिर नियमों की अवहेलना करते हुए उसे ही दैनिक हाजिरी में इस्तेमाल किया गया।

हेडमिस्ट्रेस की सेल्फी, शिक्षक की हाजिरी

27 मई को एक शिक्षक के स्थान पर हेडमिस्ट्रेस की फोटो हाजिरी में दर्ज पाई गई। यह एक गंभीर तकनीकी और नैतिक लापरवाही को दर्शाता है।

डीपीओ की सख्ती: आठ शिक्षकों से मांगा गया स्पष्टीकरण

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) ने पूरे मामले को गंभीर मानते हुए दो दिनों के भीतर साक्ष्य सहित जवाब देने का निर्देश दिया है। यह पहली बार है जब एक ही विद्यालय के आठ शिक्षकों को सामूहिक रूप से स्पष्टीकरण के लिए चिन्हित किया गया है।

किस-किस पर क्या आरोप?

उदय कांत: 22 दिनों की एक जैसी सेल्फी, हाजिरी समय विद्यालय शुरू होने से एक घंटा पहले

उपेंद्र राम: 34 दिनों की हाजिरी सुबह 7 से 7:30 बजे के बीच दर्ज, एक दिन हेडमिस्ट्रेस की फोटो

अमित कुमार राजा: अधिकांश हाजिरी 7 से 8 बजे के बीच दर्ज

अंजना कुमारी: 17 दिनों की हाजिरी में 7 से 7:30 बजे दर्ज

सुलेखा कुमारी: 22 दिनों में 7 से 8:30 बजे की हाजिरी

राजकमल सुमन: 19 से 21 मई तक अनुपस्थित

सोनी कुमारी: 19 दिनों में 7 से 8 बजे की उपस्थिति

मुकेश कुमार मिलन: 8:39 से 10 बजे तक की हाजिरी दर्ज

यह स्पष्ट करता है कि शिक्षकों की उपस्थिति सिर्फ तकनीकी रूप से दर्ज की जा रही थी, व्यावहारिक रूप से नहीं।

लापरवाही का जिम्मेदार कौन?

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की भूमिका पर भी सवाल खड़ा होता है।जहां शिक्षकों की लापरवाही उजागर हुई है, वहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) की जिम्मेदारी भी कम नहीं है। अगर समय पर निरीक्षण होता, तो यह घोटाला इस हद तक नहीं पहुंचता।

क्या यह एक व्यापक समस्या है?

ऐसे मामलों से यह आशंका भी गहराती है कि सिर्फ एक विद्यालय नहीं, बल्कि अन्य विद्यालयों में भी ई-शिक्षा कोष ऐप का दुरुपयोग हो सकता है। आवश्यकता है एक व्यापक ऑडिट की।