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अप्रैल में RBI की बड़ी सौगात! सस्ते कर्ज का मिलेगा तोहफा, ब्याज दरों में कटौती तय?

ब्याज दरों में कमी का सिलसिला क्या आगे बढ़ेगा? यह सवाल अगले कुछ हफ्तों में आरबीआई की बैठक के बाद स्पष्ट होगा, लेकिन इस समय पूरी दुनिया की नजरें भारतीय रिजर्व बैंक की ओर हैं।

Interest rate cut
Interest rate cut- फोटो : Social Media


नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था में अब एक अहम मोड़ आने वाला है, जिसमें महंगाई की गिरावट और आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की मोनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक के बाद ब्याज दरों में कटौती की संभावना तेजी से बढ़ गई है। महंगाई दर में आई कमी और खाद्य महंगाई की गिरावट के कारण अब भारतीय निवेशकों और आम नागरिकों को उम्मीद है कि अप्रैल में होने वाली बैठक में आरबीआई एक और महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।

महंगाई दर में बड़ी गिरावट: 4 फीसदी के लक्ष्य से नीचे आया आंकड़ा

फरवरी महीने में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई दर (CPI) 3.61 फीसदी तक गिर चुकी है, जो जनवरी में 4.3 फीसदी थी। यह आंकड़ा केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 4 फीसदी के टारगेट से भी नीचे चला गया है। यह गिरावट महंगाई के दबाव को कम करने में अहम साबित हो सकती है और इसके साथ ही आरबीआई के अगले कदम पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।

12 मार्च को सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में खुदरा महंगाई दर में जो गिरावट आई है, उसे लेकर अब यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि आरबीआई अपनी अप्रैल की बैठक में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। पिछले कुछ समय से महंगाई पर नियंत्रण पाने की कोशिशें जारी हैं, और इस सफलता से आरबीआई के लिए रास्ता साफ हो गया है।

आरबीआई की नज़र: क्या हो सकता है अगला कदम?

अप्रैल के दूसरे हफ्ते में यानी 7-9 अप्रैल के बीच आरबीआई की मोनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक होगी, जिसमें केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीति पर फैसला करेगा। पिछले कुछ महीनों में, महंगाई को काबू में रखने के प्रयासों के बीच आरबीआई ने 7 फरवरी को रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। अब, इस आंकड़े की रौशनी में जानकारों का कहना है कि अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 के शुरुआत में एक बार फिर से ब्याज दरों में कटौती हो सकती है।

यदि आरबीआई इस बार भी रेपो रेट में कटौती करता है, तो यह आम लोगों को राहत प्रदान कर सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो महंगी ईएमआई का सामना कर रहे हैं। साथ ही, यह कदम खपत को बढ़ावा देने और आर्थिक वृद्धि को गति देने में सहायक हो सकता है।

खाद्य महंगाई में गिरावट: रबी फसलों से उम्मीदें

फरवरी में खाद्य महंगाई दर 3.75 फीसदी तक गिर गई, जो जनवरी में 5.97 फीसदी थी। यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों की कीमतों में कमी और बेहतर रबी फसलों के उत्पादन के कारण आई है। रबी फसलें इस समय बहुत अच्छा उत्पादन देने की संभावना दिखा रही हैं, और अगर यही सिलसिला जारी रहता है तो आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई और कम हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि रबी फसलों की शानदार पैदावार, ठंड में सब्जियों की कीमतों में कमी और आने वाले खरीफ फसलों के उत्पादन से खाद्य महंगाई पर नियंत्रण रहेगा, जिससे आरबीआई को महंगाई के लक्ष्य को पूरा करने में आसानी हो सकती है।

महंगाई दर पर नियंत्रण का असर: ब्याज दरों में कटौती की संभावना

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने फरवरी की मोनेटरी पॉलिसी में इस बात का उल्लेख किया था कि नवंबर और दिसंबर में महंगाई में कमी आई है, और अब फरवरी के आंकड़ों के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि महंगाई दर में गिरावट का रुख सकारात्मक है। आने वाले महीनों में अगर महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखा जाता है, तो आरबीआई रेपो रेट में और कटौती कर सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि चौथी तिमाही में यह और भी कम होकर 4.4 फीसदी पर आ सकती है।

निष्कर्ष: वित्तीय वर्ष 2025-26 में क्या हो सकता है?

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आने वाला समय निर्णायक साबित हो सकता है। महंगाई में आई गिरावट और खाद्य महंगाई पर नियंत्रण के चलते उम्मीदें हैं कि आरबीआई अप्रैल की बैठक में ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है। यह कदम न केवल महंगी ईएमआई का बोझ हल्का करेगा, बल्कि खपत और उपभोग को बढ़ावा देने में भी सहायक साबित हो सकता है। इसके साथ ही यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक संकेत होगा, जो वित्तीय साल 2025-26 में और भी विकास की राह खोल सकता है।

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