Bihar Crime: आरा में हैवानियत की हद, 10 साल की मासूम से दुष्कर्म और हत्या, दोषी को कठोर आजीवन कारावास
Bihar Crime: 10 वर्षीया मासूम के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में विशेष पॉस्को कोर्ट ने कड़ा फैसला सुनाया है।

Bihar Crime:भोजपुर जिले के आरा में दिल दहला देने वाली एक घटना में, 10 वर्षीया मासूम के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में विशेष पॉस्को कोर्ट ने कड़ा फैसला सुनाया है। शनिवार को विशेष पॉस्को न्यायाधीश सह एडीजे षष्टम अरविंद कुमार सिंह ने दोषी नारायण साह उर्फ वकील साह को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही दोषी पर कुल 1 लाख 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह सजा न केवल अपराध की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
घटना का खौफनाक मंजर
घटना 16 दिसंबर 2024 की है, जब आरा नगर थाना क्षेत्र की एक 10 साल की बच्ची अपनी मां के कहने पर पड़ोस से आटा लेकर घर लौटी। बच्ची ने अपनी मां को बताया कि पड़ोसी नारायण साह उसे बुला रहा है। मासूम भरोसे के साथ उसके घर चली गई, लेकिन देर तक वापस नहीं लौटी। चिंतित मां कुछ लोगों के साथ नारायण साह के घर पहुंची। वहां दोषी ने दावा किया कि बच्ची उसके घर आई ही नहीं। लेकिन उसकी संदिग्ध हरकतों ने लोगों का ध्यान खींचा।
लोगों ने जब घर की तलाशी ली, तो चौकी के नीचे बच्ची का शव मिला, जिसके कपड़ों पर खून के धब्बे थे। जांच में सामने आया कि नारायण साह ने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। इस क्रूर घटना ने पूरे इलाके में सनसनी मचा दी। स्थानीय लोगों के आक्रोश के बीच पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए नारायण साह को गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई।
स्पीडी ट्रायल और सजा
मामले की गंभीरता को देखते हुए पॉस्को कोर्ट में स्पीडी ट्रायल के तहत सुनवाई शुरू हुई। 24 जनवरी 2025 को आरोप गठन के बाद महज चार महीनों में ट्रायल पूरा हुआ, जो अपने आप में एक मिसाल है। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सरोज कुमारी ने मामले को मजबूती से पेश किया। कोर्ट में 12 गवाहों की गवाही हुई, और एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री) रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट, और पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने अपराध की पुष्टि की।
कोर्ट ने दोषी नारायण साह को पॉस्को एक्ट की धारा 65(2) के तहत कठोर आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इसके अलावा, धारा 66 के तहत भी कठोर आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। कुल मिलाकर, दोषी पर 1 लाख 25 हजार रुपये का जुर्माना ठोका गया।
न्याय की जीत, समाज को संदेश
विशेष लोक अभियोजक सरोज कुमारी ने कहा कि यह सजा न केवल पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाती है, बल्कि समाज में ऐसे जघन्य अपराधों के खिलाफ एक सख्त संदेश भी देती है। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने सभी वैज्ञानिक और गवाही आधारित साक्ष्यों को ध्यान में रखकर यह फैसला सुनाया।