Bihar Crime:बिहार में निगरानी का छापा, अफसर और शागिर्द रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोचे गए, महकमे में मचा हड़कंप

Bihar Crime: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के तहत एक और बड़ा खुलासा सामने आया है, जहां खाकी नहीं बल्कि कुर्सी पर बैठे अफसर कानून के शिकंजे में फंस गए।...

Begusarai Vigilance Raid
बिहार में अफसर और शागिर्द रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोचे गए- फोटो : social Media

Bihar Crime:  बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के तहत एक और बड़ा खुलासा सामने आया है, जहां खाकी नहीं बल्कि कुर्सी पर बैठे अफसर कानून के शिकंजे में फंस गए। गुरुवार देर शाम पटना से आई निगरानी विभाग की टीम ने बेगूसराय जिला कल्याण पदाधिकारी कार्यालय पर छापा मारकर बड़ा एक्शन लिया। इस कार्रवाई में जिला कल्याण पदाधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल और कार्यालय के नाजिर जीवेन्द्र कुमार सिंह को महज़ 1800 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया गया। जैसे ही यह खबर फैली, पूरे जिला प्रशासन में अफरा-तफरी और सनसनी का माहौल बन गया।

निगरानी की टीम ने दोनों घूसखोरों को दबोचने के बाद सीधे सर्किट हाउस पहुंचाया, जहां कागजी कार्रवाई और पूछताछ की प्रक्रिया पूरी की गई। इसके बाद दोनों को पटना ले जाने की तैयारी की गई। इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए सदर एसडीपीओ वन आनंद कुमार पांडे ने बताया कि निगरानी विभाग ने जिला कल्याण पदाधिकारी और नाजिर की गिरफ्तारी की सूचना दी है। दोनों पर भ्रष्ट आचरण और पद का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप हैं।

इस पूरे मामले की जड़ बछवाड़ा निवासी मुकेश राम की शिकायत बनी। निगरानी टीम के डीएसपी और इस कांड के अनुसंधानकर्ता शिव कुमार साह ने बताया कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसके बिल के भुगतान के एवज में जिला कल्याण कार्यालय में रिश्वत की मांग की जा रही है। शिकायत मिलने के बाद निगरानी विभाग ने गोपनीय तरीके से जांच कराई, जिसमें आरोप सही पाए गए। इसके बाद टीम गठित कर जाल बिछाया गया और तय योजना के तहत दोनों आरोपियों को घूस लेते वक्त धर दबोचा गया। डीएसपी ने यह भी बताया कि गिरफ्तार दोनों आरोपियों को विशेष न्यायालय निगरानी, भागलपुर में प्रस्तुत किया जाएगा, जहां न्यायालय के आदेश के अनुसार आगे की कानूनी कार्रवाई होगी।

इस कार्रवाई के बाद जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि एक जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी ने अपनी गरिमा और ओहदे की मर्यादा को ताक पर रखकर महज़ 1800 रुपये के लालच में खुद को कानून के कटघरे में खड़ा कर दिया। साथ ही नाजिर की संलिप्तता ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। निगरानी विभाग की इस सख़्त कार्रवाई ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार चाहे छोटा हो या बड़ा, अब बचने की कोई गुंजाइश नहीं है।