Bihar Crime: नक़ाबपोश अफ़सर का पर्दाफ़ाश, निगरानी विभाग का डर दिखाकर वसूली करने वाला शातिर धराया, फर्जी आईडी के सहारे चला रहा था ख़ाकी का खेल

Bihar Crime: अपराध की एक और चालाक साज़िश पर पुलिस ने करारा वार किया है।...

Mahepura Fake officer exposed
निगरानी विभाग का डर दिखाकर वसूली करने वाला शातिर धराया- फोटो : social Media

Bihar Crime:अपराध की एक और चालाक साज़िश पर पुलिस ने करारा वार किया है। मधेपुरा सदर थाना पुलिस ने एक ऐसे शातिर अपराधी को धर दबोचा है, जो ख़ुद को निगरानी विभाग का अधिकारी बताकर लोगों से अवैध वसूली कर रहा था। नक़ली रुतबे और झूठी पहचान के सहारे वह लंबे समय से कानून को ठेंगा दिखा रहा था, लेकिन इस बार किस्मत ने साथ नहीं दिया।

गिरफ्तार आरोपी की पहचान विजय कुमार सिंह के रूप में हुई है। वह मूल रूप से सहरसा ज़िले के सौर बाजार थाना क्षेत्र के चंदौर हनुमाननगर वार्ड संख्या-10 का रहने वाला है और फिलहाल मधेपुरा शहर के भिरखी वार्ड संख्या-22 में किराए के मकान में डेरा जमाए हुए था। बाहर से देखने में ख़ाकी का रुतबा, भीतर से पूरी तरह फ़रेबी यही था इस आरोपी का असली चेहरा।

मधेपुरा के एएसपी प्रवेंद्र भारती के मुताबिक 14 दिसंबर को सदर थानाध्यक्ष विमलेंदु कुमार को गुप्त सूचना मिली कि नया बस स्टैंड मोड़ के पास एक व्यक्ति पुलिस अफ़सर बनकर वाहनों से जबरन वसूली कर रहा है। सूचना मिलते ही पुलिस ने बिना देर किए जाल बिछाया और दल-बल के साथ मौके पर दबिश दी।

पुलिस की गाड़ी देखते ही आर्मी टी-शर्ट पहने आरोपी घबरा गया और भागने की कोशिश करने लगा। लेकिन पुलिस की फुर्ती के आगे उसकी एक न चली। कुछ ही दूरी पर उसे खदेड़कर दबोच लिया गया। गिरफ्तारी के बाद भी आरोपी पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करता रहा। पहले उसने नाम-पता बताने से इनकार किया और खुद को निगरानी विभाग का अधिकारी बताकर रौब झाड़ता रहा।

हालांकि, जब पुलिस ने सख़्ती से तलाशी और पूछताछ की, तो सारा खेल बेनकाब हो गया। उसके पास से एक फर्जी पुलिस पहचान पत्र बरामद हुआ, जिसमें उसे विशेष ड्यूटी अधिकारी पुलिस (एसआई) बताया गया था। जांच में यह आईडी पूरी तरह जाली पाई गई। स्थानीय लोगों ने भी खुलासा किया कि आरोपी काफी समय से उसी जगह खड़ा होकर पुलिस का डर दिखाकर अवैध वसूली करता आ रहा था।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मधेपुरा सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज कर उसे न्यायिक हिरासत में भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब पुलिस इस बात की भी तहक़ीक़ात कर रही है कि इस फर्जी अफ़सर के नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल हैं। नक़ली ख़ाकी का यह खेल भले खत्म हो गया हो, लेकिन सवाल अब भी ज़िंदा है कितने और नक़ाबपोश कानून के नाम पर लूट मचाए बैठे हैं?