Bihar Crime: पुलिस का 'अनोखा' कारनामा, चोर छूटे, थानेदार और IO पर गिरी गाज!

Bihar Crime: पुलिस की घोर लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां चोरी की बाइक के साथ पकड़े गए दो चोर पुलिस की नाकामी के चलते पर्सनल रिकॉग्निशन बॉन्ड पर रिहा हो गए.

Motihari Unique feat of police
पुलिस का 'अनोखा' कारनामा- फोटो : reporter

Bihar Crime: मोतिहारी जिले के घोड़ासहन थाना पुलिस की घोर लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां चोरी की बाइक के साथ पकड़े गए दो चोर पुलिस की नाकामी के चलते पर्सनल रिकॉग्निशन  बॉन्ड पर रिहा हो गए. इतना ही नहीं, इस पूरे प्रकरण में थानेदार और केस के जांच अधिकारी  पर कोर्ट ने कार्रवाई का निर्देश दिया है. यह घटना पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है.

मामला मोतिहारी जिले के घोड़ासहन थाना क्षेत्र का है. पुलिस ने चोरी की बाइक के साथ दो अभियुक्तों को पकड़ा था, लेकिन जो लापरवाही सामने आई, उसने सबको हैरत में डाल दिया. हैरानी की बात यह है कि पकड़े गए चोरों के पास से बरामद मोबाइल फोन और नकदी की जप्ती सूची  पुलिस द्वारा नहीं बनाई गई. यह एक आपराधिक मामले में साक्ष्य जुटाने की सबसे बुनियादी प्रक्रिया होती है, जिसका पालन न करना पुलिस की अक्षमता को दर्शाता है.

इससे भी गंभीर आरोप तब लगे जब केस के आईओ (जांच अधिकारी) ने कोर्ट में अपने थानेदार पर जबरन कांड के कागजात पर हस्ताक्षर कराने का आरोप लगाया. यह आरोप अपने आप में पुलिस के भीतर की खींचतान और दबाव को उजागर करता है, जो अंततः न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करता है.

न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया. एसीजेएम विवेक कुमार मिश्रा की अदालत ने अनुसंधान में गंभीर खामी पाए जाने के बाद घोड़ासहन थानाध्यक्ष अनुज कुमार पांडेय और परिपुनि प्रतिभा रानी पांडेय के खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई का निर्देश दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस की इस लापरवाही के कारण अभियुक्तों को पीआर बॉन्ड पर छोड़ना पड़ा, जिससे अपराध नियंत्रण के प्रयासों को झटका लगा है.

 मंगलवार का है, जब घोड़ासहन थाना की पुलिस ने रेलवे ढाला के पास वाहन जांच के दौरान नेपाल के बारा जिले के हरनहिया गांव निवासी लालू मंसुरी और शकुर मंसुरी को एक चोरी की बाइक के साथ पकड़ा। पूछताछ में वे कागजात नहीं दिखा सके, और पुलिस ने एप्प पर चोरी का बाइक दिख रहा था.बाइक रक्सौल से चोरी हुई थी।पुलिस ने चोरी की बाइक के साथ पकड़े गए दोनो पर चोरी का आरोप लगाकर दरोगा प्रतिभा रानी पांडेय के बयान पर प्राथमिकी दर्ज किया गया ।कांड का अनुसंधानकर्ता पुअनि राजेन्द्र

पासवान को बनाया गया।गुरुवार को अनुसंधान कर्ता द्वारा दोनो अभ्युक्त को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।अनुसंधानकर्ता द्वारा ठोस सबूत और संतोषजनक कारण प्रस्तुत न किए जाने पर अदालत ने उन्हें जेल भेजने से इंकार कर दिया और पीआर बॉन्ड पर रिहा कर दिया।

 अदालत में अनुसंधानकर्ता नेयह भी आरोप लगाया कि थानाध्यक्ष ने जबरन उनसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए और किसी प्रकार की विधिवत जांच नहीं की गई। वहीं, अभियुक्तों ने भी कहा कि उनके पास बाइक क कागजात थे, जिन्हें पुलिस ने जबरन छीन लिया। उनके पास से बरामद मोबाइल फोन और नकदी का भी जब्ती सूची में कोई जिक्र नहीं है। न्यायालय ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए घोड़ासहन थानाध्यक्ष अनुज कुमार पांडेय और परि पुअनि प्रतिभा रानी पांडेय के विरुद्ध कानूनी व प्रशासनिक कार्रवाई करने का स्पष्ट निर्देश जारी किया है।

यह घटना सिर्फ एक थाने की नहीं, बल्कि पूरे पुलिस सिस्टम में व्याप्त कमियों को उजागर करती है. साक्ष्य संकलन में लापरवाही, आंतरिक खींचतान और जवाबदेही की कमी, ये सभी कारक मिलकर आपराधिक न्याय प्रणाली को कमजोर करते हैं. इस मामले में कोर्ट का सख्त रुख यह दर्शाता है कि अब पुलिस को अपनी जवाबदेही समझनी होगी और कर्तव्य पालन में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इस तरह की घटनाएं अपराधियों के हौसले बढ़ाती हैं और आम जनता का पुलिस पर से विश्वास कम करती हैं.

रिपोर्ट- हिमांशु कुमार