Bihar Crime: बिहार में बैंक का अफसर निकला धन कुबेर, काले धन की परतें बेनक़ाब, 40 लाख कैश के साथ अकूत धन का चला पता
Bihar Crime: बिहार में आर्थिक अपराध इकाई ने सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के विकास पदाधिकारी भावेश कुमार सिंह के ख़िलाफ़ ज़ोरदार शिकंजा कसा।
Bihar Crime: बिहार में आर्थिक अपराध के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई करते हुए आर्थिक अपराध इकाई ने शुक्रवार को सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के विकास पदाधिकारी भावेश कुमार सिंह के ख़िलाफ़ ज़ोरदार शिकंजा कसा। पटना और गोपालगंज में स्थित उनके कुल 6 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई, जो करीब 11 घंटे तक चली। इस दौरान नक़दी, ज्वेलरी, बैंक दस्तावेज़ और संदिग्ध लेनदेन से जुड़े कई अहम सबूत हाथ लगे हैं।
EOU की टीम को सबसे बड़ी कामयाबी बिहटा स्थित भावेश कुमार की राइस मिल से मिली, जहां से 40 लाख रुपये कैश बरामद किए गए। पूछताछ के दौरान ही टीम को इस राइस मिल की जानकारी मिली, जिसके बाद तत्काल यहां दबिश दी गई। एक गाड़ी से 6 अफ़सरों की टीम मौके पर पहुंची और पूरी मिल की गहन तलाशी ली। कैश मिलने के बाद EOU के अफ़सरों ने मौके पर ही रकम जब्त कर ली।
पटना में भावेश कुमार के आवास से भी नक़दी और कीमती ज्वेलरी बरामद की गई। तलाशी के दौरान टीम ने बेड के नीचे रखे बैग तक निकलवाकर जांच की। घर से 8 अलग-अलग बैंकों की पासबुक भी मिलीं, जिनमें करीब 15 लाख रुपये जमा पाए गए। इसके अलावा पटना के पहाड़ी इलाके में सर्विस के दौरान बनाए गए आलीशान मकान के काग़ज़ात और पैतृक गांव के पास खरीदी गई 41 डिसमिल ज़मीन के दस्तावेज भी मिले हैं, जिनकी क़ीमत करोड़ों रुपये आंकी जा रही है।
जांच में चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि भावेश के रिश्तेदार के नाम पर खोले गए R.M. Enterprises के बैंक खातों में साल 2025 के दौरान 12 से 15 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। EOU का दावा है कि इसके पुख़्ता सबूत मिले हैं। सभी संदिग्ध खातों को तत्काल फ्रीज़ कर दिया गया है।
गोपालगंज स्थित पैतृक गांव में भावेश के नाम से संचालित पेट्रोल पंप पर भी छापेमारी की गई। यहां तीन गाड़ियों से 10 से अधिक अफ़सर सुबह करीब 9 बजे पहुंचे और कैश व दस्तावेज़ों की जांच की। हालांकि भावेश के भाई ने दावा किया कि पेट्रोल पंप से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।
इसके अलावा पटना के एसपी वर्मा रोड स्थित सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक कार्यालय में भी लगभग 3 घंटे तक तलाशी चली। भावेश कुमार वर्ष 2014 से यहां विकास पदाधिकारी के पद पर तैनात रहे हैं और इससे पहले नौबतपुर शाखा में भी काम कर चुके हैं।
EOU की इस कार्रवाई ने एक बार फिर बैंकिंग सिस्टम में भ्रष्टाचार और काले धन के गहरे जाल को उजागर कर दिया है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच में और कितने बड़े राज़ सामने आते हैं और कानून की गिरफ़्त में कौन-कौन आता है।