Patna News: डिजिटल इश्क का दर्दनाक अंजाम, भाई के सदमे में छोटे भाई ने भी उठा लिया खौफनाक कदम, पुलिस के एक्शन से बची एक जान

Patna News: सोशल मीडिया की चकाचौंध, वादों की मिठास और शादी के सपनों के बीच रिश्तों की हकीकत पर एक तीखा सवाल छोड़ दिया।...

Tragic End of Digital Love
डिजिटल इश्क का दर्दनाक अंजाम- फोटो : X

Patna News: सोशल मीडिया की चकाचौंध, वादों की मिठास और शादी के सपनों के बीच मेहंदीगंज थाना क्षेत्र के उदरहमापुर अरुण बाग मोहल्ले में गुरुवार की देर रात जो हुआ, उसने रिश्तों की हकीकत पर एक तीखा सवाल छोड़ दिया। कोलकाता की एक युवती से सोशल मीडिया के ज़रिये दोस्ती कर शादी रचाने वाले 22 वर्षीय राहुल कुमार चौधरी ने घर के पंखे के हुक में फंदा डालकर अपनी ज़िंदगी का क़िस्सा खत्म कर लिया। 

जिस घर की कमान राहुल के कंधों पर थी, उसी घर में मातम और सन्नाटा एक साथ उतर आया। हालात इतने संगीन थे कि बड़े भाई की मौत की ख़बर से टूटे छोटे भाई अजरुन कुमार उर्फ गोलू ने भी मौत को गले लगाने की कोशिश कर डाली।

सूचना मिलते ही मेहंदीगंज थाना की पुलिस मौके पर पहुंची। शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम की तैयारी चल ही रही थी कि एक और सनसनीखेज ख़बर ने सबको हिला दिया। दूसरे कमरे में छोटा भाई अंदर से दरवाज़ा बंद कर बैठा था। वेंटिलेटर से झांका गया तो पता चला कि वह भी फंदे से झूल चुका है। 

आनन-फानन में दरवाज़ा तोड़ा गया, उसे नीचे उतारा गया और निजी उपचार केंद्र में भर्ती कराया गया। गनीमत रही कि वक़्त रहते उसकी सांसें बचा ली गईं। फिलहाल वह खतरे से बाहर है, लेकिन उसकी आंखों में भाई की मौत का खौफ और दिल में गहरा ज़ख़्म साफ़ दिखता है।

पुलिस के मुताबिक, राहुल डिलिवरी ब्वॉय और मजदूरी कर परिवार का पेट पालता था। पांच महीने पहले उसने कोलकाता निवासी युवती से शादी की थी। शादी के बाद से ही पति-पत्नी के बीच तकरार, अनबन और तनाव की खबरें घर की दीवारों तक सीमित नहीं रहीं। परिवार का कहना है कि यही घरेलू कलह और मानसिक दबाव राहुल को इस अंधे मोड़ तक ले आया। डिजिटल दोस्ती से शुरू हुआ रिश्ता आख़िरकार एक घर के उजड़ने की कहानी बन गया।

मेहंदीगंज थानाध्यक्ष पूजा कुमारी ने बताया कि अभी परिजनों की ओर से कोई लिखित आवेदन नहीं मिला है, आवेदन मिलने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल पुलिस हर पहलू से छानबीन कर रही है। यह मामला एक बार फिर सवाल छोड़ गया है क्या सोशल मीडिया के रिश्ते इतने मज़बूत होते हैं कि ज़िंदगी की ज़िम्मेदारियों का बोझ सह सकें, या फिर ये रिश्ते अक्सर किसी न किसी को फंदे तक पहुंचा देते हैं?