Bihar teacher:गुरुजी गिरफ्तार... मोबाइल पर ही, व्हाट्सऐप बना हथियार, साइबर ठगों ने 'डिजिटल अरेस्ट' का हवाला देकर उड़ाए डेढ़ लाख
Bihar teacher: बिहार में साइबर अपराधियों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। अब डिजिटल अरेस्ट का नया हथकंडा सामने आया है...

Bihar teacher: बिहार में साइबर अपराधियों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। अब डिजिटल अरेस्ट का नया हथकंडा सामने आया है, जिससे सारण जिले के एक शिक्षक को अपना खून-पसीने की कमाई गंवानी पड़ी। व्हाट्सएप के माध्यम से शिक्षक से डेढ़ लाख रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया।
घटना रसूलपुर थाना क्षेत्र के असहनी पंचायत की है, जहां आरएन हाई स्कूल, जोगिया में कार्यरत शिक्षक कुमार प्रिंस को क्रेडिट कार्ड की एक छोटी सी समस्या में ऐसा फंसाया गया कि वो साइबर ठगों के डिजिटल जाल में उलझ गए।
ऐसे हुआ "डिजिटल अरेस्ट"
प्रिंस क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी के लिए कस्टमर केयर से बात कर रहे थे, तभी कॉल अचानक कट गई। कुछ ही सेकंड बाद एक निजी नंबर से कॉल आया, जिसमें बात करने वाले व्यक्ति ने खुद को बैंक प्रतिनिधि बताया और शिक्षक की व्यक्तिगत जानकारी साझा कर भरोसा जीत लिया।
इसके बाद, तकनीकी खराबी और क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करने के बहाने, ठग ने शिक्षक को व्हाट्सएप पर ऑनलाइन होने को कहा। जैसे ही प्रिंस व्हाट्सएप पर आए, उनके मोबाइल पर लगातार ओटीपी आने लगे, और धोखेबाजों ने तीन ट्रांजेक्शन में डेढ़ लाख रुपये उड़ा लिए—दो बार ₹51,000 और एक बार ₹forty five,000।
पीड़ित ने दर्ज कराई शिकायत
घटना के तुरंत बाद, शिक्षक ने साइबर सेल और एसबीआई बैंक प्रबंधन को ऑनलाइन शिकायत दी है। फिलहाल, खाता होल्ड और ट्रांजेक्शन ट्रेस करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इस ठगी ने एक बार फिर डिजिटल जागरूकता की कमी और साइबर सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर कर दिया है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
"डिजिटल अरेस्ट" एक नई साइबर ठगी तकनीक है, जिसमें अपराधी पीड़ित को किसी लिंक या प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन करके उसका डाटा और ओटीपी एक्सेस कर लेते हैं, और उसके बाद आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं।
बिहार में लगातार बढ़ रहे इन मामलों से यह स्पष्ट हो गया है कि साइबर जागरूकता अब विकल्प नहीं, आवश्यकता है। आम लोगों, विशेषकर शिक्षित वर्ग को भी अब हर ऑनलाइन संवाद पर सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि अब ठगी महज़ फोन कॉल भर की दूरी पर है।