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Patna Crime:पटना की पूर्व DCLR मैत्री सिंह का एक और काण्ड उजागर, परिजनों संग फ्लैट हड़पने का सनसनीखेज खुलासा

Patna News:पटना की पूर्व डीसीएलआर मैत्री सिंह व पिता समेत छ: पर आपराधिक मुकद्दमा दर्ज,रुक्मणी बिल्डटेक से मिलकर जालसाजी कर सम्पति हड़पने का आरोप

Patna Crime:पटना की पूर्व DCLR मैत्री सिंह का एक और काण्ड उजागर, परिजनों संग फ्लैट हड़पने का सनसनीखेज खुलासा

N4N डेस्क: राजधानी पटना में तैनात रही  पूर्व डीसीएलआर मैत्री सिंह एवं उनके परिवार और परिजनों के एक बड़े जलसाजी का पर्दाफाश हुआ है. इस खुलासे मेें  पटना सदर की पूर्व डीसीएलआर मैत्री सिंह, उनके पिता लाल नारायण सिंह और उनके साथियों पर साजिश, धोखाधड़ी और जबरन फ्लैट जमीन कब्जे का बेहद गंभीर आरोप लगा है. मामला इतना संगीन है कि इसमें बिल्डर,पूर्व डीसीएलआर मैत्री सिंह के परिवार के सदस्य समेत नौकर तक शामिल बताए जा रहे हैं.पहले से ही गंभीर भ्रष्टाचार व अन्य मामलो मे कानूनी विभागीय जांच प्रकिया से गुजर रही पटना सदर के डीसीएलआर रह चुकी मैत्री सिंह एक बार फिर मुश्किलों में घिरती नज़र आरही है. लेकिन इस बार परिवार के कई अन्य सदस्य और अन्य सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. 


दरअसल, यह सब कुछ तब शुरू हुआ जब छत्रपति शिवाजी ग्रीन्स अपार्टमेंट (संपतचक, पटना) के फ्लैट A-1/603 को लेकर एक सुनियोजित साजिश रची गई. दरअसल इस साजिश को तब अमली जामा पहनाया गया जब मैत्री सिंह पटना सदर डीसीएलआर के पद पर तैनात थी.पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपने फुफेरे भाई कान्तेश रंजन सिन्हा को फ्लैट का फर्जी मालिक दर्शाया दिया. फिर,फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी के तमाम मामलों में भगोड़े रुक्मणी बिल्डटेक के निदेशकों अजीत आजाद और मानव कुमार सिंह को ताबे में लेकर और केस में मदद का भरोसा डेकर फ्लैट को अपने पिता लाल नारायण सिंह के नाम रजिस्ट्री करा लिया. 


वही फ्लैट A-1/603 के मालिक नागेश्वर सिंह स्वराज उन दिनों बिहार से बाहर थे. जब लौटे तो इस साजिश की भनक लगी, तो उनके होश उड़ गए. जब पीड़ित स्वराज ने विरोध किया तो पहले पहल तो मैत्री सिंह और उनके पिता पिता लाल नारायण सिंह ने उन्हें समस्या सुलझाने का झांसा दिया, लेकिन जब मामला सार्वजनिक होने लगा, तो बलपूर्वक जबरन एनओसी पर दस्तखत कराने की कोशिश की गई.इस दौरान कथित रूप से नागेश्वर सिंह धमकियां दी गईं और दुर्व्यवहार भी किया गया.


इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई—मैत्री सिंह और उनके परिवार ने इसी दौरान "मेसर्स लंघौरा रियल एस्टेट प्रा. लि." नाम से एक नई कंपनी खोल ली. इस कंपनी का मार्केटिंग ऑफिस पटना के गौरीचक क्षेत्र में, डीसीएलआर पटना सदर के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत ही खोला गया, जिससे शक और भी गहरा गया.

इस सनसनीखेज मामले में पटना व्यवहार न्यायालय में विभिन्न धाराओं (316, 318, 322, 329, 336 आदि) के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है. पीड़ित पक्ष के वकील सत्यप्रकाश नारायण ने कहा कि यह एक सुनियोजित संगठित अपराध है, जिसमें भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और सरकारी पद के दुरुपयोग के गंभीर पहलू शामिल हैं.पीड़ित पक्ष ने कोर्ट से न्याय की गुहार लगाते हुए दोषियो पर कारवाई की मांग की है.


अब सवाल उठता है—क्या पटना पुलिस इस मामले में कड़ी कार्रवाई करेगी? क्या मैत्री सिंह और उनके साथियों की गिरफ्तारी होगी? इस मामले का खुलासा बिहार के प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार की गहरी सच्चाई को उजागर कर रहा है.

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