Delhi Bomb Blast : अल-फलाह विश्वविद्यालय पर केंद्र की बड़ी कार्रवाई, ED जांच और फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश
NEW DELHI : दिल्ली में लाल किले के समीप हुए आतंकी ब्लास्ट की गंभीर घटना के बाद, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अल-फलाह विश्वविद्यालय को जांच के दायरे में ले लिया है। सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य संबंधित एजेंसियों को विश्वविद्यालय में धन के लेन-देन (Financial Transactions) की गहन जाँच करने का आदेश दिया है। इसके अतिरिक्त, सरकार विश्वविद्यालय के सभी रिकॉर्ड का फॉरेंसिक ऑडिट भी कराएगी।
NIA और चिकित्सकों की गिरफ्तारी का कनेक्शन
सोमवार को लाल किले के पास एक उच्च-तीव्रता वाले कार विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना एक "सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल" के भंडाफोड़ के कुछ ही घंटों बाद हुई। इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में अल-फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े तीन चिकित्सक भी शामिल हैं, जिससे विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस कनेक्शन के चलते, केंद्र सरकार ने तुरंत वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं की जाँच शुरू करने का निर्देश दिया है।
NAAC ने भी विश्वविद्यालय को भेजा नोटिस
आतंकी कनेक्शन के आरोपों के बीच, विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से भी बड़ा झटका लगा है। NAAC ने अल-फलाह विश्वविद्यालय को अपनी वेबसाइट पर गलत मान्यता प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
नोटिस में NAAC ने कहा है
विश्वविद्यालय, "जो न तो मान्यता प्राप्त है और न ही उसने NAAC द्वारा मान्यता के लिए आवेदन किया है", ने अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से यह दावा किया कि परिसर में तीन कॉलेज चल रहे हैं, जिनकी मान्यता NAAC से प्राप्त है। NAAC ने विश्वविद्यालय से तुरंत स्पष्टीकरण माँगा है और निर्देश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट तथा अन्य सार्वजनिक दस्तावेजों से झूठी मान्यता संबंधी विवरण हटाए।
मान्यता पहले ही हो चुकी है समाप्त
NAAC नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिन कॉलेजों के नाम पर विश्वविद्यालय ने 'ग्रेड ए' मान्यता का दावा किया है, उनकी मान्यता काफी पहले समाप्त हो चुकी है: अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की मान्यता 2018 में समाप्त हो गई थी। अल फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग की मान्यता 2016 में समाप्त हो गई थी। NAAC ने बताया कि इन दोनों महाविद्यालयों ने अब तक NAAC की नई मूल्यांकन और मान्यता प्रक्रिया के लिए स्वेच्छा से आवेदन नहीं किया है। वेबसाइट के अनुसार, संस्थान की शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी और 2014 में इसे हरियाणा सरकार द्वारा विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था।