Nitin Gadkari: मोदी सरकार ने नितिन गडकरी को दिया बड़ा झटका, ड्रीम प्रोजेक्ट को कर दिया स्थगित, जानिए पूरी खबर
Nitin Gadkari: मोदी सरकार ने नीतिन गडकरी के ड्रीम प्रोजेक्ट सैटेलाइट से टोल वसूली योजना को स्थिगत कर दिया है। जासूसी और निजता को खतरे की आशंका में सरकार ने GNSS सिस्टम पर ब्रेक लगा दिया है।
Nitin Gadkari: केंद्र की मोदी सरकार ने नितिन गडकरी को बड़ा झटका दे दिया है। नितिन गडकरी के ड्रीम प्रोजेक्ट को स्थगित कर दिया गया है। दरअसल, केंद्र सरकार की बहुप्रतिक्षित सैटेलाइट आधारित टोल वसूली (GNSS) योजना को सरकार ने स्थगित कर दिया है। बताया जा रहा है कि वाहनों में ट्रैकिंग डिवाइस लगाने से आम लोगों की निजता प्रभावित होने, डेटा के दुरुपयोग की आशंका और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े जोखिमों के चलते सरकार ने इसे रोकने का निर्णय लिया है।
क्यों रोकी गई सैटेलाइट टोलिंग?
सरकार पहले ही साफ कर चुकी थी कि 1 मई से सैटेलाइट टोलिंग को लागू करने पर कोई फैसला नहीं हुआ है। अब आधिकारिक रूप से इसे स्थगित कर दिया गया है। बता दें कि, GNSS प्रणाली में हर वाहन में ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) लगाना अनिवार्य था, जिससे वाहन की लोकेशन, रूट, गति, स्टॉपेज और गंतव्य की जानकारी लगातार रिकॉर्ड होती रहती। अधिकारियों के अनुसार, VIP मूवमेंट ट्रैक होने का खतरा, नागरिकों की निजी जानकारी लीक होने की आशंका, डेटा का दुरुपयोग होने की आशंकाएं थी। ये बड़े सुरक्षा जोखिम थे। इन्हीं कारणों से सरकार ने इसे स्थगित करने का फैसला किया।
पहले हो चुका था ट्रायल
बेंगलुरु–मैसूर एक्सप्रेसवे और हरियाणा के कुछ हिस्सों में GNSS तकनीक का परीक्षण किया गया था। योजना यह थी कि वाहन जितनी दूरी तय करें, उतना ही टोल अपने आप बैंक खाते से कट जाए। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के सचिव वी. उमाशंकर ने बताया कि सरकार अब ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) प्रणाली पर काम कर रही है। इसमें किसी भी ट्रैकिंग डिवाइस की जरूरत नहीं पड़ेगी, हाईवे पर लगे कैमरे नंबर प्लेट पढ़ेंगे और राशि फास्टैग वॉलेट से ही कट जाएगी। यानी गाड़ी बिना रुके टोल पार करेगी, और मौजूदा फास्टैग ढांचे का ही उपयोग होगा।
सरकार का आधिकारिक बयान
अप्रैल 2025 में मंत्रालय ने भी साफ किया था कि 1 मई 2025 से सैटेलाइट टोलिंग लागू करने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। चुनिंदा टोल प्लाजा पर ANPR-फास्टैग आधारित बाधा-रहित टोलिंग ही लागू की जाएगी। सरकार का यह कदम सुरक्षा और निजता के प्रति बढ़ती चिंताओं के मद्देनज़र लिया गया महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है।