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'मां शारदे कहां तू वीणा बजा रही है' पढ़िए और गाइए मां सरस्वती की सबसे पारंपरिक आरती....

हिंदू धर्म में पूजा का महत्व अत्यधिक है, उसी प्रकार आरती का भी विशेष स्थान है। यह मान्यता है कि पूजा के बाद आरती का आयोजन न करने पर पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।

Maa Sharde Kahan Tu Veena
मां शारदे कहां तू वीणा बजा रही है- फोटो : Hiresh Kumar

मां सरस्वती का स्मरण मंत्र


सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने । विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते ॥ 

सरस्वती महा-भागे विद्ये कमला -लोकाने |विद्या-रूपे विशाल-अक्ससि विद्याम् देहि नमोस्तुते ||


माँ शारदे कहाँ तू, वीणा बजा रही हैं 


माँ शारदे कहाँ तू,वीणा बजा रही हैं,

किस मंजु ज्ञान से तू,जग को लुभा रही हैं ॥

किस भाव में भवानी,तू मग्न हो रही है,

विनती नहीं हमारी, क्यों माँ तू सुन रही है । 

माँ शारदे कहाँ तू,वीणा बजा रही हैं,

किस मंजु ज्ञान से तू,जग को लुभा रही हैं ॥


हम दीन बाल कब से, विनती सुना रहें हैं,

चरणों में तेरे माता,हम सर झुका रहे हैं,

हम सर झुका रहे हैं ।

माँ शारदे कहाँ तू,वीणा बजा रही हैं,

किस मंजु ज्ञान से तू,जग को लुभा रही हैं ॥


अज्ञान तुम हमारा,माँ शीघ्र दूर कर दो,

द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में,माँ शारदे तू भर दे । 

माँ शारदे कहाँ तू,वीणा बजा रही हैं,

किस मंजु ज्ञान से तू,जग को लुभा रही हैं ॥


बालक सभी जगत के,सूत मात हैं तुम्हारे,

प्राणों से प्रिय है हम,तेरे पुत्र सब दुलारे, तेरे पुत्र सब दुलारे ।

माँ शारदे कहाँ तू,वीणा बजा रही हैं,

किस मंजु ज्ञान से तू,जग को लुभा रही हैं ॥


हमको दयामयी तू, ले गोद में पढ़ाओ,

अमृत जगत का हमको,माँ शारदे पिलाओ 

माँ शारदे कहाँ तू,वीणा बजा रही हैं,

किस मंजु ज्ञान से तू,जग को लुभा रही हैं ॥


मातेश्वरी तू सुन ले,सुंदर विनय हमारी,

करके दया तू हर ले,बाधा जगत की सारी,बाधा जगत की सारी ।

करके दया तू हर ले,बाधा जगत की सारी, बाधा जगत की सारी ।


माँ शारदे कहाँ तू,वीणा बजा रही हैं,

किस मंजु ज्ञान से तू,जग को लुभा रही हैं ॥

माँ शारदे कहाँ तू,वीणा बजा रही हैं,

किस मंजु ज्ञान से तू,जग को लुभा रही हैं ॥



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