Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की होती है पूजा, भगवती की आराधना से खुलेगा सौभाग्य का द्वार , जानें पुराणों में देवी कात्यायनी की महिमा
बांग्ला पद्धति से पूजन करने वाले पंडालों में आज रविवार को माता का पट खोला जाएगा, जबकि वैदिक रीति का अनुसरण करने वाले पंडालों में कल सोमवार को मंत्रोच्चार और वैदिक विधि के साथ पट खोला जाएगा।...

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर आज मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना हो रही है। आकाशीय गणनाओं के अनुसार आज ज्येष्ठा नक्षत्र, आयुष्मान योग, रवियोग और सर्वार्थ सिद्धि योग का पावन संगम बन रहा है। इस पुण्यकाल में बिल्वाभिमंत्रण और देवी बोधन के साथ माता कात्यायनी की विशेष आराधना की जाएगी।
बांग्ला पद्धति से पूजन करने वाले पंडालों में आज रविवार को माता का पट खोला जाएगा, जबकि वैदिक रीति का अनुसरण करने वाले पंडालों में कल सोमवार को मंत्रोच्चार और वैदिक विधि के साथ पट खोला जाएगा।
स्कंद पुराण के अनुसार, मां कात्यायनी का जन्म परमपिता परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से हुआ था। वहीं वामन पुराण बताता है कि सभी देवताओं ने अपनी-अपनी दिव्य ऊर्जा कात्यायन ऋषि के आश्रम में संचित की, जिससे एक दिव्य शक्तिपुंज प्रकट हुआ। ऋषि कात्यायन ने उस शक्ति को देवी स्वरूप प्रदान किया, जिसके कारण वे कात्यायनी नाम से विख्यात हुईं। यही देवी महिषासुर का वध कर धर्म की रक्षा करने वाली बनीं।
"चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी च शुभदा देवी दानवघातिनी॥"
मां कात्यायनी की उपासना से भक्तों में अदम्य साहस और बल का संचार होता है। इनकी कृपा से हर संकट का नाश होता है और शत्रु बाधाएँ समाप्त होती हैं। मान्यता है कि अविवाहित कन्याएं यदि श्रद्धा से मां कात्यायनी का पूजन करें तो उन्हें योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त रोग, शोक, भय और संताप भी इनके पूजन से दूर हो जाते हैं।
माता का रूप अत्यंत उज्ज्वल और प्रकाशमान है। इनके चार हाथ हैं दाहिने ओर ऊपर का हाथ अभयमुद्रा में और नीचे का हाथ वरमुद्रा में है। बाईं ओर ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं।
माता कात्यायनी की पूजा प्रदोष काल (गोधूलि बेला) में श्रेष्ठ मानी जाती है। मां को शहद अर्पित करना विशेष शुभ माना गया है, क्योंकि यह उनका प्रिय भोग है। लाल वस्त्र, शहदयुक्त पान और सच्चे मन से की गई आराधना से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को अद्भुत शक्ति और सौभाग्य का वरदान देती हैं।