Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा आज, घाट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, सुबह से लगा रहे आस्था की डूबकी, जानिए स्नान का शुभ मुहूर्त और मंत्र

Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। गंगा किनारे सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। लोग सुबह से माँ गंगा में आस्था की डूबकी लगा रहे हैं।

गंगा दशहरा
गंगा दशहरा आज - फोटो : social media

Ganga Dussehra 2025: देशभर में आज गंगा दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है। यह वह पावन दिन जब भागीरथ की कठोर तपस्या के फलस्वरूप गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। मान्यता है कि ब्रह्मा जी के कमंडल से निकलने के बाद गंगा का वेग इतना तीव्र था कि पृथ्वी उसका आघात सह नहीं सकती थी। तब शिव ने अपनी जटाएं खोलीं और गंगा उन्हीं में उलझ कर शांत हुईं। इसके बाद ही गंगा का धरती पर अवतरण हुआ। गंगा दशहरा के इस पवित्र अवसर पर न केवल गंगा की अविरलता और उसकी मोक्षदायिनी शक्ति को स्मरण किया जाता है, बल्कि यह दिन यह सोचने का अवसर भी देता है कि हम आज इस देव-नदी के साथ क्या कर रहे हैं?

गंगा का पौराणिक और भौगोलिक प्रवाह

गंगा का उद्गम उत्तराखंड के गोमुख से होता है जहां से भागीरथी नदी निकलती है। अलकनंदा नदी बद्रीनाथ से आती है और देवप्रयाग में दोनों नदियों के संगम के बाद इन्हें गंगा नाम मिलता है। यहां से यह नदी ऋषिकेश और हरिद्वार होते हुए समतल मैदानों में प्रवेश करती है। हरिद्वार से आगे यह मंथर गति से बहती हुई कानपुर, प्रयागराज, बनारस, पटना और भागलपुर होते हुए बंगाल की खाड़ी तक पहुंचती है। गंगा को शास्त्रों में "पाप हारिणी", "मोक्षदायिनी" और "पितृ तारण कर्त्री" माना गया है। हर शुभ पर्व और अवसर पर गंगा स्नान की परंपरा रही है। गंगा दशहरा, माघ स्नान और सावन में गंगा जल का विशेष महत्व है।

गंगा और पर्यावरण दिवस का संयोग

इस वर्ष विशेष संयोग है कि गंगा दशहरा और विश्व पर्यावरण दिवस एक ही दिन यानी 5 जून को पड़ रहे हैं। इस बार पर्यावरण दिवस की थीम है "प्लास्टिक प्रदूषण का अंत"। लेकिन सच यह है कि गंगा के साथ सबसे बड़ा अन्याय आज प्लास्टिक कचरे और औद्योगिक अपशिष्ट के रूप में हो रहा है। औद्योगिक नगरों जैसे फर्रुखाबाद और कानपुर में गंगा काले और दुर्गंधयुक्त जल में बदल चुकी है। कानपुर, जो कभी "कनकैया" कहकर गंगा मैया को पूजता था अब गंगा को नाला बना बैठा है। बिठूर, जहां से गंगा एक बार निर्मल रूप में बहती थी, अब प्रदूषण का घर बन चुका है।

गंगा दशहरा 2025 की तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा 5 जून 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 4 जून की रात से प्रारंभ होकर 5 जून को देर रात समाप्त होगी। उदय तिथि मान्य होने के कारण गंगा दशहरा 5 जून को मनाया जाएगा।

गंगा स्नान और दान का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान- 5 जून को सुबह 4:07 बजे तक

सिद्धि योग- 5 जून को सुबह 9:14 बजे तक, जो गंगा स्नान व दान के लिए विशेष शुभ माना गया है।

रवि योग- 5 जून को पूरे दिन रहेगा, जो दिनभर के कार्यों को शुभ फलदायी बनाता है।

गंगा दशहरा का धार्मिक महत्त्व

गंगा दशहरा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का पर्व है। यह दिन गंगा स्नान, दश पापों के नाश और पूर्वजों के तर्पण का श्रेष्ठ समय माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन गंगा स्नान और दान से पापनाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन करें यह प्रमुख कार्य-

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करें या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

पितरों के लिए तर्पण करें।

गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन व वस्त्र दान दें।

शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं और 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें।

"गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।

नर्मदे सिन्धु कावेरी जलस्मिन सन्निधिं कुरु॥"

 इस मंत्र का जाप करते हुए गंगा जल का आचमन करें।

स्नान करते समय इन मंत्रों का करें जाप

गंगा स्नान के दौरान या उसके बाद मां गंगा की पूजा करते समय इन मंत्रों का जप भी अवश्य करना चाहिए

मां गंगा मंत्र

गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं । त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां ।।

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।

गंगा नहर और जल दोहन

1854 में अंग्रेजों द्वारा बनाई गई अपर गंगा कैनाल उत्तर प्रदेश की सिंचाई के लिए बनी थी, लेकिन अब इसका अधिकांश जल हरिद्वार से आगे ही शहरी आपूर्ति में खींच लिया जाता है। यहां तक कि यह नहर कभी नील की खेती के लिए बनी थी नील की खेती, जो अत्यधिक जल खपत करती थी, ने भूजल स्तर को भी गिरा दिया था। प्रयागराज में जब यमुना गंगा में मिलती है, तब गंगा का जल स्तर बढ़ता है। चंबल, पहुज, क्वारी जैसी नदियां यमुना को समृद्ध करती हैं। लेकिन गंगा जिसे सबकी जीवनदायिनी माना गया खुद सबसे ज्यादा उपेक्षित है।

क्या करें गंगा सेवा के लिए?

गंगा दशहरा के इस शुभ अवसर पर हर श्रद्धालु को यह संकल्प लेना चाहिए गंगा स्नान करें, पर गंगा को गंदा न करें। प्लास्टिक, पूजा सामग्री, राख, फूल आदि गंगा में प्रवाहित न करें। गंगा किनारे साफ-सफाई बनाए रखें। प्रशासन और समाज मिलकर औद्योगिक अपशिष्ट को गंगा में गिरने से रोकें। जनजागरूकता अभियान चलाएं ताकि श्रद्धा को सुविधा के आगे न कुचला जाए।