Bihar Teacher News:शिक्षकों की भर्ती में फर्जी सर्टिफ़िकेट सिंडिकेट बेनकाब, 72,287 गुरुजी की जायेगी नौकरी! शिक्षा विभाग के एक्शन से हड़कंप

Bihar Teacher News: बिहार के शिक्षा तंत्र में फर्जीवाड़े और अवैध नियुक्ति का जंगल खड़ा हो चुका है, 72 287 शिक्षकों के सर्टिफिकेट का सत्यापन का निर्देश शिक्षा विभाग ने दिया है।

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72,287 गुरुजी की जायेगी नौकरी! - फोटो : social Media

Bihar Teacher News: बिहार के शिक्षा तंत्र में फर्जीवाड़े और अवैध नियुक्ति का ऐसा जंगल खड़ा हो चुका है, जिसकी जड़ें वर्षों पुरानी हैं और जिसकी सफाई अब तक अधूरी है। सूबे के विभिन्न जिलों में नियोजित शिक्षकों की प्रमाण पत्र जांच पिछले कई सालों से एक ठहरी हुई फाइल की तरह धूल फाँक रही है। हालत यह है कि स्वयं विभाग ने स्वीकार किया है कि 72 287 शिक्षकों के सर्टिफिकेट आज भी सत्यापन के इंतजार में पड़े हैं, और जिस सुस्ती से प्रक्रिया चल रही है, उससे लगता है कि अगले दस साल में भी यह ‘महाअभियान’ पूरा नहीं होगा। तब तक कई शिक्षक रिटायर भी हो जाएंगे और फर्जीवाड़ा अगर हुआ है, तो उसका सच भी फाइलों में दफ्न रह जाएगा।

नियोजन इकाइयों यानी पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर के सचिवों के पास ही नियुक्ति से जुड़े मूल दस्तावेज रहते हैं। लेकिन विभाग की रिपोर्ट बताती है कि कई सचिव कागजात ही उपलब्ध नहीं करा पाए, जिससे विभाग ने उन्हें जिम्मेदार मानकर कार्रवाई की बात तो कही, पर धरातल पर वह सख्ती कभी दिख नहीं पाई। पिछले वर्ष जनवरी तक 3,52,927 शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के नियोजन की वैधता जांच लंबित थी, लेकिन अब भी स्थिति विशेष रूप से भयावह बनी हुई है।

प्राथमिक शिक्षा सचिव दिनेश कुमार ने हालिया पत्र में सभी डीपीओ और समग्र शिक्षा अधिकारियों को फिर से कड़े निर्देश दिए हैं कि विभिन्न बोर्डों/विश्वविद्यालयों से लंबित सत्यापन शीघ्र पूरी की जाए। हाई कोर्ट के 2014 के आदेश के आधार पर 2006 से 2015 तक की नियुक्तियों की जांच चल रही है, पर सच्चाई यह है कि विश्वविद्यालयों और बोर्डों में फाइलें महीनों से जमी हुई हैं।

सबसे अधिक लंबित सत्यापन बिहार बोर्ड के स्तर पर हैं 46,681। इसके अलावा संस्कृत बोर्ड 1766, मदरसा बोर्ड 5450, मगध विश्वविद्यालय 4924, मिथिला विश्वविद्यालय 2934, वी.के.एस.यू 2296, बी.आर.ए.बी.यू 1902, बीएन मंडल विवि 3086 समेत दर्जनों संस्थानों में सैकड़ों से लेकर हजारों फॉर्म अब भी बेताल की तरह लटके पड़े हैं।

स्थिति इतनी गंभीर है कि यह पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करती है कि क्या बिहार में शिक्षकों की भर्ती का आधा सच फर्जीवाड़े की राख में दबा है? और क्या यह ‘सत्यापन अभियान’ कभी मंज़िल तक पहुंचेगा, या सिर्फ कागज़ों में ही चलता रहेगा?