स्थानांतरण नीति में भेदभाव? 16 वर्षों से सेवा दे रहे 1600 लाइब्रेरियन हो रहे परेशान फिर भी सुध नहीं ले रही नीतीश सरकार

2008 से 2016 तक करीब 1600 पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति हुई जिनमें करीब 50 फीसदी महिलाएं हैं. लेकिन वर्षों बाद भी अपने तबादले की बाट जोह रहे लाइब्रेरियन नीतीश सरकार से बड़ी अपील कर रहे हैं.

librarians transfer policy in Bihar
librarians transfer policy in Bihar- फोटो : news4nation

Bihar Education News: बिहार में इन दिनों शिक्षकों के बड़े पैमाने पर स्थानांतरण की प्रक्रिया चल रही है। अब तक एक लाख से अधिक शिक्षकों का तबादला हो चुका है। सरकार की यह पहल जहां एक ओर शिक्षकों को राहत दे रही है, वहीं दूसरी ओर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग 1600 पुस्तकालयाध्यक्ष (लाइब्रेरियन) आज भी अपने स्थानांतरण की बाट जोह रहे हैं।


बता दें कि वर्ष 2008 में द्वितीय चरण नियोजन प्रक्रिया के तहत पहली बार माध्यमिक विद्यालयों में लाइब्रेरियन की बहाली हुई थी। 2008 से 2016 तक करीब 1600 पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति हुई। इन सभी ने सरकार द्वारा आयोजित दक्षता और सक्षमता परीक्षा भी सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की है। इसके बाद इन्हें विशिष्ट शिक्षक का दर्जा भी मिला और ये अब राज्यकर्मी के रूप में कार्यरत हैं।


इसके बावजूद, 15 से 16 वर्षों से दूरदराज़ के इलाकों में सेवा दे रहे इन शिक्षकों को अब तक तबादले का लाभ नहीं मिला है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन लाइब्रेरियन में लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो वर्षों से अपने परिवार से दूर रह रही हैं और पारिवारिक-सामाजिक दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रही हैं।


शिक्षकों के बीच यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि जब नियुक्ति के महज़ तीन महीने बाद ही अन्य शिक्षक स्थानांतरण का लाभ पा रहे हैं, तो लाइब्रेरियन के साथ ऐसा दोहरा रवैया क्यों? अब इन पुस्तकालयाध्यक्षों की सरकार से मांग है कि उन्हें भी अन्य शिक्षकों की तरह स्थानांतरण नीति का समान रूप से लाभ दिया जाए, ताकि वे भी अपने परिवार और समाज के प्रति दायित्वों का निर्वहन कर सकें।