Bihar Teacher News: शिक्षकों-कर्मचारियों की तनख्वाह हड़प गया प्रबंधन, शिक्षा विभाग में बड़ा खुलासा, करोड़ों की गड़बड़ी हुई उजागर
Bihar Teacher News:आंतरिक आमदनी से जो राशि प्राप्त होती है, उसमें से शिक्षकों और कर्मचारियों को भुगतान का स्पष्ट प्रावधान है। परंतु अधिकांश महाविद्यालयों का प्रबंधन इस हिस्से को डकार रहा है।...

Bihar Teacher News: बिहार के उच्च शिक्षा जगत से जुड़ी एक चौंकाने वाली और हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। राज्य के 216 संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों ने अपनी आंतरिक आमदनी के उपयोग में भारी पैमाने पर वित्तीय धांधली की है। सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ है कि बिहार सरकार के आदेश के बावजूद महाविद्यालयों ने अपनी आय का 70 प्रतिशत हिस्सा शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन भुगतान पर खर्च नहीं किया।
यह गड़बड़ी न केवल सरकारी नियमों की खुली अवहेलना है, बल्कि हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों के हक पर सीधा डाका भी है। शिक्षा विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित महाविद्यालयों को स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। साथ ही, चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में परीक्षाफल आधारित मिलने वाली अनुदान राशि पर रोक लगाने का भी निर्णय लिया गया है।
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया कि महाविद्यालयों की आंतरिक आमदनी से जो राशि प्राप्त होती है, उसमें से शिक्षकों और कर्मचारियों को भुगतान का स्पष्ट प्रावधान है। परंतु अधिकांश महाविद्यालयों का प्रबंधन इस हिस्से को डकार रहा है। अनुमान है कि यह राशि कई करोड़ रुपये तक पहुँच चुकी है। यह वित्तीय गड़बड़ी इसलिए और गंभीर है क्योंकि इन महाविद्यालयों में लगभग 25 हजार शिक्षक और कर्मचारी कार्यरत हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि कुछ महाविद्यालयों ने अपने शिक्षकों और कर्मचारियों के बैंक खाते में राशि भेजने का दिखावा किया। भुगतान का रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के बाद उनसे यह पैसा नकद वापस ले लिया गया। यानी प्रबंधन ने यह सुनिश्चित किया कि सरकारी नियमों के मुताबिक भुगतान का दस्तावेज मौजूद रहे, लेकिन हकीकत में वेतन की राशि फिर से कॉलेज के खजाने में लौट आई।
इस पूरे खेल ने न केवल महाविद्यालय प्रबंधन की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले संस्थान अब भ्रष्टाचार के अड्डे में तब्दील हो रहे हैं।
राज्य सरकार ऐसे कॉलेजों को स्नातक परीक्षाफल के आधार पर अनुदान राशि देती है। साथ ही, स्पष्ट निर्देश है कि कॉलेज की आंतरिक आय में से 70 प्रतिशत हिस्सा शिक्षकों व कर्मचारियों के भुगतान में जोड़ा जाए। लेकिन इन आदेशों की धज्जियाँ उड़ाकर प्रबंधन ने अपने लाभ का साम्राज्य खड़ा कर लिया है।
अब शिक्षा विभाग की सख्ती ने इन कॉलेजों के प्रबंधकों की नींद उड़ा दी है। सवाल यह भी है कि क्या केवल स्पष्टीकरण और अनुदान पर रोक से ही यह महाघोटाला थम पाएगा, या....