Bihar Teacher News: एसीएस डॉ सिद्धार्थ के 'बेहतर शिक्षा' के सपनों पर पानी फेर रहे गुरुजी, छात्रों से लगवाया जा रहा है झाडू, वायरल वीडियो से मचा बवाल

Bihar Teacher News: छात्रों को पढ़ाई कराने के बजाय झाड़ू थमाकर स्कूल की सफाई करवाई जा रही है।

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छात्रों से लगवाया जा रहा है झाडू- फोटो : Reporter

Bihar Teacher News: राज्य सरकार और शिक्षा विभाग लगातार सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा व्यवस्था लागू करने के लिए प्रयासरत हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ भी कई बार स्कूलों को गुणवत्ता में सुधार के निर्देश दे चुके हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां कर रही है।सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो ने हड़कंप मचा दिया है, जिसमें छात्रों को पढ़ाई कराने के बजाय झाड़ू थमाकर स्कूल की सफाई करवाई जा रही है। यह वीडियो मोतीहारी जिले के अरेराज प्रखंड स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय, सरेया महाराजगंज का बताया जा रहा है।

वीडियो में कुछ छात्र हाथ में झाड़ू लिए स्कूल प्रांगण की सफाई करते नजर आ रहे हैं, जबकि शिक्षक केवल देख रहे हैं। यह वीडियो वायरल होते ही लोगों में गुस्सा और निराशा दोनों देखने को मिल रहे हैं। सोशल मीडिया पर यूज़र्स कह रहे हैं "यह तो शिक्षा की जगह बाल मजदूरी कराई जा रही है। एसीएस साहब के सपनों को उनके ही मातहत शिक्षक बर्बाद कर रहे हैं।"

वायरल वीडियो पर लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ यूज़र्स ने आरोप लगाया है कि विद्यालय में नामांकन के दौरान निर्धारित फीस से अधिक पैसे लिए जाते हैं, लेकिन छात्रों को उसकी रसीद नहीं दी जाती। कई लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि स्कूल प्रशासन की मिलीभगत से एक कनीय और शारीरिक शिक्षक को प्रधानाध्यापक (एचएम) का प्रभार दे दिया गया है, जबकि वरिष्ठ शिक्षक स्कूल में मौजूद हैं।

यूज़र्स शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों से इस मामले की सूक्ष्म जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जांच की जाए, तो विद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं से लेकर शिक्षण व्यवस्था तक कई गंभीर गड़बड़ियां सामने आ सकती हैं।

इस मामले में प्रधानाध्यापक बीरेंद्र मिश्र से जब पूछा गया तो उन्होंने छात्रों से झाड़ू लगवाने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि विद्यालय में कभी-कभी साफ-सफाई के लिए छात्रों की भागीदारी स्वेच्छा से होती है, लेकिन यह पढ़ाई के स्थान पर नहीं होता।जहाँ तक अधिक फीस लेकर रसीद नहीं देने की बात है, इस पर उन्होंने सफाई दी कि "भीड़ अधिक होने पर कभी-कभी दो या तीन दिन बाद फीस की रसीद दी जाती है, लेकिन कोई अनियमितता नहीं होती।"

इस घटना ने एक बार फिर सरकारी विद्यालयों की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर उच्च अधिकारी स्कूलों में गुणवत्ता सुधारने के प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ शिक्षक उन प्रयासों को पलीता लगाने में जुटे हैं। यदि वायरल वीडियो सही साबित होता है, तो यह न केवल शिक्षा व्यवस्था की विफलता दर्शाता है, बल्कि बच्चों के अधिकारों का भी हनन है।

अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है, और क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होती है या मामला दबा दिया जाता है।

रिपोर्ट- हिमांशु कुमार