मोतीहारी में शिक्षा का ‘लिंग’ परिवर्तन! डीपीओ ने पुरुष शिक्षक को बना दिया महिला शिक्षिका, सोशल मीडिया पर उड़ रही शिक्षा विभाग की खिल्ली
Bihar School News: मोतीहारी के शिक्षा विभाग ने बेंच-डेस्क घोटाला, स्कूल मरम्मती फर्जीवाड़ा के बाद अब “लिंग विज्ञान” में नई क्रांति ला दी है।...

Bihar School News: मोतीहारी का शिक्षा विभाग बेंच-डेस्क घोटाला, स्कूल मरम्मती फर्जीवाड़ा के बाद फिर सुर्खियों में है। अब विभाग ने “लिंग विज्ञान” में नई क्रांति ला दी है। डीपीओ स्थापना द्वारा जारी पत्र में एक पुरुष शिक्षक को महिला घोषित कर प्रधानाध्यापक का प्रभार सौंपने का आदेश दे दिया गया। अब इसे नादानी कहें, तकनीकी चूक या लिंग-साक्षरता की गरीबी मगर सोशल मीडिया ने इसे बुरी तरह ट्रोल करना शुरू कर दिया है।
बात अरेराज प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय भेलानारी की है। डीपीओ साहब ने 19 जून को पत्रांक 3236 के तहत शिक्षक जीवन ज्योति को "श्रीमती" व "वरिष्ठ शिक्षिका" घोषित करते हुए प्रभार देने का आदेश जारी कर दिया। अब सोशल मीडिया पूछ रहा है कि क्या मोतीहारी में "शिक्षक दिवस" से पहले "शिक्षिका दिवस" की तैयारी चल रही है?"
यह आदेश उस समय और हास्यास्पद हो गया जब संबंधित बीईओ (खंड शिक्षा पदाधिकारी) ने ही इस पत्र को मानने से इनकार कर दिया। यानी शिक्षा विभाग का एक हिस्सा आदेश निकाल रहा है, और दूसरा ही विभाग उसे सिरे से नकार रहा है। शिक्षा का ‘संयोजन’ नहीं, ‘विभाजन’ हो रहा है।
सोशल मीडिया पर यह मामला हास्य का विषय नहीं, बल्कि शर्मिंदगी का प्रतीक बन गया है। ज्ञान के मंदिर में बैठकर आदेश जारी करने वाले अधिकारी जब शिक्षक और शिक्षिका का फर्क नहीं कर पाते, तो प्रश्न उठता है कि आखिर ये विभाग बच्चों को क्या सिखा रहे हैं?
ट्रोल्स की भरमार है — कोई कह रहा है "अब विभाग बताए कि जीवन ज्योति का आधार कार्ड किस नाम से बने?", तो कोई पूछ रहा है "क्या डीपीओ के पास ‘ऑन-स्पॉट लिंग परिवर्तन’ का लाइसेंस है?"
असल में यह मामला कागज पर हुई एक गलती से कहीं बड़ा है। यह सरकारी लापरवाही, तंत्र की असंवेदनशीलता और उस शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता है, जिसे हम ‘नई पीढ़ी की नींव’ कहते हैं। इतना तो तय है कि सोशल मीडिया की नजर में डीपीओ अब डीपीओ नहीं, "डिपार्टमेंट ऑफ परमानेंट ओवरसाइट" हो गए हैं।
शिक्षा विभाग को अब यह तय करना चाहिए कि ज्ञान के साथ थोड़ी सामान्य समझदारी भी अपने कर्मचारियों को दी जाए ताकि अगली बार शिक्षक को शिक्षिका बनाने का अद्भुत चमत्कार देखने को न मिले।
रिपोर्ट- हिमांशु कुमार