Bihar Education: शिक्षा के नाम पर लूट की पाठशाला! ऑडिट रिपोर्ट का बड़ा खुलासा, मरम्मत की फाइलों में झूठ की इमारत, अब क्या करेंगे डॉ सिद्धार्थ

Bihar Education: मोतीहारी में स्कूल के मरम्मत के नाम पर सरकारी खजाने का अफसरों सरकारी राशि का जमकर दुरुपयोग किया। यहीं नहीं प्रशासनिक स्वकृति के दुगुना ठीकेदार को भुगतान भी कर दिया गया

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शिक्षा के नाम पर लूट की पाठशाला!- फोटो : reporter

Bihar Education: मोतीहारी में शिक्षा विभाग ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसे सुनकर शर्म भी शरमा जाए। जहां बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुविधा मिलनी चाहिए थी, वहां अफसरों, जेई, एई और संवेदकों ने स्कूलों को 'कमाई का अड्डा' बना डाला। जांच में जो खुलासे हुए हैं, वे बताते हैं कि यह कोई मामूली घोटाला नहीं, बल्कि 'सुनियोजित सरकारी डकैती' थी – वो भी शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में।

बंजरिया प्रखंड के एनपीएस ब्रह्मपुरी स्कूल में मरम्मत कार्य के नाम पर तो ऐसा तमाशा हुआ कि नियम, प्रक्रिया, और नैतिकता – सबको जमीन में दफना दिया गया। तीन संवेदकों से कोटेशन मंगाए गए, लेकिन नियमों को धत्ता बताते हुए सबसे ऊँचे कोटेशन वाले को काम सौंप दिया गया। और तो और, जहां कार्यादेश में प्रशासनिक स्वीकृति की राशि ₹2,51,509 दर्शाई गई थी, वहां भुगतान ठोंका गया ₹4,43,529 का! ये कैसा जादू था, जहां सरकारी पैसे की गंगा बहती गई और सबने डुबकी लगाई।

कनीय अभियंता ने मापी पुस्तिका में झूठी प्रविष्टि भरी, और सहायक अभियंता ने उसे आंख मूंदकर सत्यापित कर दिया। जांच रिपोर्ट के बाद तत्कालीन डीईओ को सस्पेंड कर दिया गया, जबकि वर्तमान डीईओ पर विभागीय कार्रवाई शुरू हुई है। मगर असली खिलाड़ी – जेई और एई – अब भी 'प्रोटेक्शन के कवच' में सुरक्षित हैं। सवाल ये उठता है कि आखिर इन्हें बचा कौन रहा है?

और मामला यहीं नहीं थमा। सहायक अभियंता ने तो हद ही पार कर दी। जब इतना घोटाला पकड़ा गया, तब भी इनकी लालच की भूख शांत नहीं हुई। फर्जी पत्रांक और दिनांक चढ़ाकर 6 करोड़ का नया भुगतान ठोकने की साजिश रच दी गई। सौभाग्य से ये फर्जीवाड़ा पकड़ा गया, नहीं तो सरकारी खजाना और भी हल्का हो गया होता।

जांच टीम को तो सिर्फ 19 “चुनी हुई” फाइलें थमाई गईं – और उनमें ही इतना घोटाला मिला कि सिर चकरा जाए। अब सोचिए, अगर पूरे जिले के मरम्मत और बेंच-डेस्क कार्यों की जांच हो जाए, तो घोटालों का भंडार फूट पड़ेगा।स्कूल की छतें गिरें या बच्चे ज़मीन पर बैठें, मगर जेई-एई की जेबें फूली रहें – यही है बिहार में शिक्षा की असली स्कीम?"सरकार कब जागेगी, ये पूछने से पहले सवाल ये है कि क्या कोई वाकई जागना चाहता भी है?

रिपोर्ट- हिमांशु कुमार